
चीन को खटकने वाली महिला नेता ने यूएस स्पीकर की रेस से हटने का किया ऐलान
AajTak
नैंसी पेलोसी का कहना है कि हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के स्पीकर पद का आगामी चुनाव नहीं लड़ूंगी. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि नई पीढ़ी डेमोक्रेटिक कॉकस की अगुवाई करें. मैं आभारी हूं कि इतने सालों तक यह जिम्मेदारी मेरे कंधों पर रही. पेलोसी 2019 और फिर दोबारा 2021 में कांग्रेस के निचले सदन की स्पीकर चुनी गई थीं.
अमेरिकी मिड टर्म चुनाव में हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव (House of Representatives) में रिपब्लिकन पार्टी की जीत के एक दिन बाद सदन की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने ऐलान किया है कि वह जनवरी में होने जा रहा स्पीकर पद का चुनाव नहीं लड़ेंगी. पेलोसी 2019 और फिर दोबारा 2021 में कांग्रेस के निचले सदन की स्पीकर चुनी गई थीं. हालांकि, उन्होंने कहा है कि वह अपना मौजूदा कार्यकाल पूरा करेंगी. वह सैन फ्रांसिस्को के प्रतिनिधि के तौर पर कांग्रेस में बनी रहेंगी. वह पहली बार 2007 में इस पद के लिए चुनी गई थीं और इसके साथ ही उन्होंने इतिहास रच दिया था. वह इस पद पर पहुंचने वाली अमेरिका की पहली महिला बन गई थीं.
पेलोसी ने कहा, मैं हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के स्पीकर पद का आगामी चुनाव नहीं लड़ूंगी. अब समय आ गया है कि नई पीढ़ी डेमोक्रेटिक कॉकस की अगुवाई करें. मैं आभारी हूं कि इतने सालों तक यह जिम्मेदारी मेरे कंधों पर रही. बता दें कि 82 साल की पेलोसी लगभग 20 सालों तक इस पद पर रही हैं.
पेलोसी ने कहा कि वह डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से स्पीकर पद के उम्मीदवार का उचित मार्गदर्शन करेंगी. उन्होंने अपने कार्यकाल के बारे में बताते हुए उस लम्हे को याद किया, जब उन्होंने पहली बार कांग्रेस में कदम रखा था.
पेलोसी ने कहा कि उस समय मैं बच्ची थी और मेरे पिता ने बतौर सीनेटर शपथ ली थी. तब मैंने पहली बार संसद में कदम रखा था.
बाडेन ने नैंसी पेलोसी को सराहा
नैंसी पेलोसी के इस फैसले पर राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि मैं जब भी नैंसी पेलोसी के बारे में सोचता हूं, तो मैं गरिमा के बारे में सोचता हूं. इतिहास उन्हें हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के सबसे सक्षम स्पीकर के तौर पर याद रखेगा. वह लोगों के लिए पहले, आखिरी वक्त तक और हमेशा खड़ी रहने वाली शख्स हैं. अमेरिका उनकी सेवा और देशभक्ति के लिए उनका आभारी है.

पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान पर जबरन कब्जे के बाद से बलूच लोग आंदोलन कर रहे हैं. पाकिस्तानी सेना ने पांच बड़े सैन्य अभियान चलाए, लेकिन बलूच लोगों का हौसला नहीं टूटा. बलूच नेता का कहना है कि यह दो देशों का मामला है, पाकिस्तान का आंतरिक मुद्दा नहीं. महिलाओं और युवाओं पर पाकिस्तानी सेना के अत्याचार से आजादी की मांग तेज हुई है. देखें.