क्यों सीरिया की राजधानी को रहने के लिए दुनिया का सबसे खराब शहर माना जाता है, एक दशक की लड़ाई ने यहां क्या बदल डाला?
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दमिश्क रहने के लिहाज से दुनिया का सबसे खराब शहर है. बीते एक दशक से सीरिया की राजधानी लगातार इसी पॉजिशन पर है. ये बात ग्लोबल लिवेबलिटी इंडेक्स का है, जो बताता है कि दुनिया के कौन शहर में रहना सबसे शानदार अनुभव हो सकता है, और कहां रहना सबसे ज्यादा अखरेगा. इसी में दमिश्क का नाम नीचे से टॉप पर है.
ग्लोबल लिवेबिलिटी इंडेक्स 2023 ने कुछ समय पहले एक लिस्ट निकाली, जिसके मुताबिक ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना रहने के लिए दुनिया का सबसे बढ़िया शहर है. इसके बाद डेनिश कैपिटल कोपेनहेगन का नाम है. इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट हर साल ऐसे शहरों का जिक्र करता है, जहां रहना अलग-अलग तजुर्बे देता है.
173 शहरों की लिस्ट में दमिश्क का भी नाम है. ये सीरियाई शहर बीते 10 सालों से लिस्ट में बना हुआ है, लेकिन तमाम खराब वजहों से. इंडेक्स की मानें तो यहां रहने वाले लोग लगातार नरक झेल रहे हैं. लगभग 21 लाख लोग देश की राजधानी में हैं. ये वो लोग हैं, जो गरीबी या संपर्कों की कमी के चलते दूसरे देशों में शरण नहीं ले सके.
दमिश्क की बदहाली में सीरियाई क्रांति का बड़ा हाथ रहा, जो वैसे तो देश की तरक्की के लिए हुई थी, लेकिन जिसने सबकुछ तहस-नहस कर दिया. साल 2011 में देश में महंगाई, बेरोजगारी काफी बढ़ चुकी थी. उस समय वहां के राष्ट्रपति बशर अल-असद थे. उनके खिलाफ विद्रोह शुरू हुआ, जो धीरे-धीरे हिंसक हो गया. असद ने बागियों को कुचलने के लिए सेना का सहारा लिया. इस तरह से सरकार और जनता एक-दूसरे का खून बहाने लगे.
ये सीरिया की अस्थिरता का दौर था, जो चरमपंथी ताकतों के लिए फलने-फूलने का मौका था. जिहादी ग्रुप आए इस्लामिक स्टेट के तौर पर दमिश्क से लेकर पूरे देश में फैल गए. कथित तौर पर इसे कुचलने के लिए अमेरिका ने अपनी सेना भेजी. हवाई हमले होने लगे जो मिलिटेंट के इलाकों तक ही सीमित नहीं थे, बल्कि चारों तरफ गोलबारी हो रही थी. सीरियाई राष्ट्रपति के मददगार के तौर पर रूस की सेना भी वहां थी. वो भी सरकार की सहायता के नाम पर आम लोगों में तबाही मचाने लगी. कुल मिलाकर शांति के नाम पर जो अफरातफरी मची, वो अब तक कायम है.
साल 2022 में यूनाइटेड नेशन्स ह्यूमन राइट्स ऑफिस का डेटा कहता है कि 10 सालों के भीतर 3 लाख से ज्यादा सिविलियन मारे गए. वहीं अलग-अलग थिंक टैंक दावा करते हैं कि मरने वालों की संख्या इससे कहीं ज्यादा होगी. सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के मुताबिक मार्च 2023 तक 5 लाख से ज्यादा आम नागरिक हवाई हमलों या बंदूकों से मारे गए. इसका यह भी कहना है कि सीरिया के संघर्ष में करीब 21 लाख लोग स्थाई तौर पर अपंग हो चुके.
देश की आधी से ज्यादा आबादी शरणार्थियों की तरह यूरोप या दूसरे देशों में शरण लिए हुए है, जहां वे दूसरे दर्जे के नागरिक बने हुए हैं. वहीं जो लोग देश में बाकी हैं, उनकी स्थिति भी कहीं अच्छी नहीं.
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