क्या बांग्लादेश में बसे रोहिंग्या शरणार्थियों को जबरन म्यांमार वापस लौटाया जा रहा है?
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करीब 6 साल पहले बांग्लादेश और म्यांमार में एक करार हुआ, जिसके मुताबिक बांग्लादेश अपने यहां से रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस उनके देश भेजने वाला था. कथित तौर पर म्यांमार में उनके लिए बस्तियां भी तैयार हो चुकी हैं, लेकिन रोहिंग्या जाने को तैयार नहीं. वे डरे हुए हैं कि वापस लौटते ही उन्हें बंधक बना लिया जाएगा, या मार दिया जाएगा.
शरणार्थियों का मुद्दा पूरी दुनिया में लगातार गरमा रहा है. बीते दिनों फ्रांस में हुई आगजनी के बाद यूरोपियन देश रिफ्यूजियों से कन्नी काटते दिखे. उन्हें कहीं न कहीं ये लगने लगा है कि हिंसा-प्रभावित जगहों से आए शरणार्थी यूरोप को अपना नहीं पाते, बल्कि वहां भी हिंसक वारदातें करते रहते हैं. वहीं वर्ल्ड के सबसे बड़े रिफ्यूजी कैंप कॉक्स बाजार में अलग ही हलचल मची हुई है. बांग्लादेश में बने इस कैंप में शरणार्थी इतने ज्यादा हो गए हैं कि वहां की सरकार उन्हें वापस म्यांमार लौटाने की सोच रही है.
कौन हैं रोहिंग्या और क्यों भागे म्यांमार से? ये सुन्नी मुस्लिम हैं, जो म्यांमार के रखाइन प्रांत में रहते आए थे. बौद्ध आबादी वाले म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिम माइनॉरिटी में हैं. इनकी आबादी 10 लाख से कुछ ज्यादा बताई जाती रही. लगातार सैन्य शासन के बाद थोड़े स्थिर हुए इस देश में जनगणना के दौरान रोहिंग्याओं को शामिल नहीं किया गया. कहा गया कि वे बांग्लादेश से यहां जबरन चले आए और उन्हें लौट जाना चाहिए.
बौद्ध आबादी के बीच मुस्लिमों को लेकर गुस्सा तब और भड़का जब रोहिंग्याओं ने एक युवा बौद्ध महिला की बलात्कार के बाद हत्या कर दी. इसके बाद से सांप्रदायिक हिंसा शुरू हुई और रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार से खदेड़े जाने लगे. साल 2017 में नरसंहार के बीच बड़ी संख्या में ये लोग भागकर बांग्लादेश पहुंच गए.
बांग्लादेश में बसे सबसे ज्यादा रोहिंग्या
इसी साल पूरे 7 वर्ष हो जाएंगे, जब लाखों रोहिंग्या मुस्लिम जान बचाने के लिए पड़ोसी देश बांग्लादेश आए. बांग्लादेश खुद आर्थिक तौर पर काफी मजबूत नहीं है, लेकिन मानवीय आधार पर वो शरणार्थियों को अपने यहां बसाने के लिए तैयार हो गया. इसमें बड़ा हाथ यूएन का भी था. उसने और कई दूसरी इंटरनेशनल संस्थाओं ने बांग्लादेश को काफी मदद देने का वादा किया.
बांग्लादेश के दक्षिण-पूर्वी तट कॉक्स बाजार में शरणार्थियों को बसाया जाने लगा. बंगाल की खाड़ी के इस लंबे समुद्री तट में शेल्टर बनने लगे. सरकार के रिफ्यूजी रिलीफ एंड रीपेट्रिएशन कमीशन के अनुसार, कॉक्स बाजार एरिया में 1 लाख 20 हजार से ज्यादा शेल्टर बने. दुनिया में खूब वाहवाही तो हुई, लेकिन देश के अपने भीतर तनाव बढ़ने लगा. रोजगार और जगह की कमी की बात होने लगी. स्थानीय लोग ये तक आरोप लगाने लगे कि कॉक्स बाजार में रहते लोगों की वजह से मानव तस्करी, नशा जैसी चीजें बढ़ रही हैं.
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