क्या धार्मिक टैक्स से बचने के लिए चर्च से दूर भाग रहे जर्मनी में लोग? बढ़ी खुद को नास्तिक बताने वालों की तादाद
AajTak
जर्मनी में ईसाई और यहूदी धर्म को मानने वालों को हर साल एक टैक्स देना होता है. ये अच्छी-खासी रकम होती है, जिससे बचने का भी लोगों ने तरीका खोज निकाला. बहुत से क्रिश्चियन धर्म के मानने वाले खुद को नास्तिक घोषित कर रहे हैं ताकि टैक्स से छूट मिल जाए. पिछले साल वहां करीब 5 लाख लोगों ने चर्च की मेंबरशिप छोड़ दी.
एक निश्चित आय के बाद हर कमाऊ व्यक्ति को टैक्स भरना होता है. सरकार तक पहुंचे ये पैसे तरक्की में लगाए जाते हैं. दुनिया के लगभग सभी देशों में यही नियम है. हालांकि कुछ देश ऐसे भी हैं, जो धार्मिक टैक्स भी लेते हैं, जैसे जर्मनी. यहां क्रिश्चियन और यहूदियों के हर महीने के वेतन में टैक्स का एक बड़ा हिस्सा चर्च और सिनेगॉग को चला जाता है.
हर महीने सीधे सैलरी से कटते हैं पैसे
जर्मनी में इसे चर्च टैक्स या वर्शिप टैक्स कहते हैं. इसमें सरकार से मान्यता प्राप्ता धार्मिक संस्था ये तय करती है कि जिस भी चर्च या सिनेगॉग में आप सदस्य बने हों, उसकी देखभाल के लिए आप वेतन का कुछ हिस्सा दें. इन्हीं पैसों से धार्मिक संस्थान के स्टाफ को भी तनख्वाह मिलती है. ये एक अच्छी-खासी रकम होती है, जो महीने के आखिर में कट जाती है.
जर्मनी में काम करते विदेशियों के लिए भी यही नियम
ये नियम सिर्फ स्थानीय जर्मन्स के लिए नहीं, बल्कि बाहर से आकर काम करने वालों पर भी लागू होता है. असल में एड्रेस का फॉर्म भरने के दौरान जैसे ही कोई यहूदी या ईसाई अपनी धार्मिक पहचान जाहिर करता है, उस पर चर्च टैक्स लागू हो जाता है. ये सीधे महीने के आखिर में डिडक्ट होता है. इसके बाद एम्प्लॉयर इस रकम को लोकल टैक्स ऑफिस में देता है.
छोड़ रहे चर्च की सदस्यता
पाकिस्तान से साठगांठ, ISI की बढ़ती एक्टिविटी, कैसे बांग्लादेश फिर से भारत के लिए सिरदर्द बन सकता है?
बांग्लादेश आर्मी के एक अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल एसएम कमरुल हसन रावलपिंडी दौरे पर थे. उनकी आगवानी में पाकिस्तान बिछ ही गया. एक मेज पर जिन्ना की तस्वीर थी. इसके एक ओर बांग्लादेश का झंडा था दूसरी ओर पाकिस्तान का. जिस पाकिस्तानी आर्मी ने 1975 की बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में बांग्लादेशियों को रौंद दिया था. उसी पाकिस्तान आर्मी ने बांग्लादेश को अपना 'भातृ राष्ट्र' बताया.
थाईलैंड में समलैंगिक विवाह कानून लागू हो गया है जिसके बाद वहां के समलैंगिक कपल्स को शादी करने का कानूनी अधिकार मिल गया है. थाईलैंड की तरह दुनिया के कई देशों में समलैंगिकों को शादी करने का हक मिला हुआ है लेकिन दुनिया में कुछ देश ऐसे भी हैं जहां समलैंगिकता पर रोक है और इसके लिए मौत की सजा तक दी जा सकती है.
डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनते ही बाइडन कार्यकाल के रिफ्यूजी प्रोग्राम को निरस्त कर दिया है. इस प्रोग्राम के तहत पाकिस्तान में फंसे हुए अफगानी शरणार्थियों को अमेरिका में सेटल करवाना था. बाइडन प्रशासन ने पाकिस्तान से कहा था कि कुछ ही समय में अमेरिका सारे शरणार्थियों को शरण दे देगा लेकिन उनकी सत्ता रहते हुए ऐसा नहीं हो पाया.
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अगर ब्रिक्स देश अपनी करेंसी लाते हैं तो उनके लिए अमेरिका से व्यापार करना काफी मुश्किल हो जाएगा क्योंकि वो इन देशों पर 100 प्रतिशत का टैरिफ लगा देंगे. ट्रंप की इस धमकी पर अर्थशास्त्रियों ने प्रतिक्रिया दी है. अर्थशास्त्री रघुराम राजन का कहना है कि ट्रंप प्रतिक्रिया देने में जल्दबाजी कर रहे हैं.
चीन ने बांग्लादेश को लोन चुकाने के लिए बड़ी राहत दी है. चीन की शी जिनपिंग सरकार ने बांग्लादेश को दिए कर्ज को चुकाने की अवधि को 20 साल से बढ़ाकर 30 साल कर दिया है. चीन दौरे पर पहुंचे बांग्लादेश के विदेश मंत्री तौहीद हुसैन ने चीनी विदेश मंत्री से मुलाकात के दौरान यह अनुरोध किया था, जिसे चीन ने स्वीकार कर लिया है.
अपनी चुनावी घोषणा के अनुरूप ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सख्त प्रवासन नीतियों पर अमल शुरू कर दिया है. इस सख्ती के दायरे में वैसे 20 हजार भारतीय हैं जिसके बारे में अमेरिका कहता है कि इनके पास अमेरिका में रहने के वैध कागज नहीं हैं और इन्हें वापस भेजा जाएगा. अमेरिका ने ऐसे 20 हजार भारतीयों को डिपोर्टेशन लिस्ट में डाल दिया है.
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वो एच-1बी वीजा के दोनों पक्षों को पसंद करते हैं. उनका कहना है कि अमेरिका में वैसे लोग ही आने चाहिए जो बेहद कुशल हैं. लेकिन, वीजा और प्रवासियों पर सख्ती दिखा रहे ट्रंप ने एफबीआई डायरेक्टर के लिए जिस काश पटेल को नियुक्त किया है, वो खुद एक प्रवासी माता-पिता से जन्मे अमेरिकी हैं.
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत आने के बाद से ही बांग्लादेश की अंतरिम सरकार उनके प्रत्यर्पण के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही है. अब बांग्लादेश ने गीदड़भभकी देते हुए कहा है कि अगर भारत पूर्व पीएम शेख हसीना को वापस नहीं भेजता है तो वह इस मामले को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने उठाएगा और उनसे हस्तक्षेप की मांग करेगा.