
क्या दिल्ली से जा चुकी है सर्दी? जानें क्यों बढ़ रहा है दिन का तापमान
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दिल्ली और आसपास के इलाकों में पिछले कुछ दिनों में तेज पछुआ हवाएं चल रही है. इन हवाओं की रफ्तार 15 किलोमीटर प्रति घंटे या उससे थोड़ी ज्यादा रह रही है. यह हवाएं नमी के साथ नहीं, बल्कि शुष्क हैं. वहीं, तापमान बढ़ने के लिए शीतोष्म यानि एडियाबेटिक सिस्टम भी जिम्मेदार होता है. एडियाबेटिक सिस्टम भी उत्तरी भारत के मैदानी इलाकों का तापमान बढ़ाता है.
दिल्ली में दिन का तापमान बढ़ने लगा है. आमतौर पर जनवरी महीने में दिन का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से कम ही रहता है, लेकिन इस बार तो जनवरी में अधिकतम तापमान 26°C तक पहले ही पहुंच चुका है. हालांकि, पिछले दिनों न्यूनतम तापमान में कुछ गिरावट देखने को जरूर मिली. लेकिन सुबह का तापमान भी कई बार इस महीने 10 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रिकॉर्ड किया गया. सवाल यह है कि क्या ऐसा होना सामान्य घटना है या विशेष परिस्थितियों की वजह से ऐसा उलटफेर हो रहा है.
शुष्क पछुआ हवाएं बढ़ा रहीं तापमान
दिल्ली और आसपास के इलाकों में पिछले कुछ दिनों में तेज पछुआ हवाएं चल रही है. इन हवाओं की रफ्तार 15 किलोमीटर प्रति घंटे या उससे थोड़ी ज्यादा रह रही है. यह हवाएं नमी के साथ नहीं, बल्कि शुष्क हैं. आमतौर पर वेस्टर्न डिस्टरबेंस यानी पश्चिमी विक्षोभ हवाओं में आद्रता लेकर आता है. लेकिन सिस्टम के जाने के बाद पिछले कुछ दिनों से हवाएं काफी ड्राई हो गई हैं. जब हवा में नमी नहीं होती है तो पानी के कण सूरज से आने वाले विकिरण को सोख नहीं पाते हैं. ऐसी स्थिति में तापमान बढ़ने लगता है.
क्यों बढ़ रहा मैदानी इलाकों का तापमान?
बता दें कि तापमान बढ़ने के लिए शीतोष्म यानि एडियाबेटिक सिस्टम भी जिम्मेदार होता है. एडियाबेटिक सिस्टम भी उत्तरी भारत के मैदानी इलाकों का तापमान बढ़ाता है. दरअसल, ये सिस्टम तब पैदा होता है, जब हवा दो लेयर यानि विंडवर्ड साइड और लीवर्ड साइड में बहती है. हिमालय की विंडवर्ड साइड यानी उत्तरी तरफ हवा ऊंचाई पर जाती है और ठंडी होती है, जिससे बादल बनते हैं और बारिश या फिर बर्फबारी होती है. जब यही हवा हिमालय के दक्षिणी ढलान (लीवर्ड साइड) पर नीचे आती है, तो वह एडियाबेटिक रूप से गर्म हो जाती है. इसका मतलब है कि उत्तरी भारत के मैदानों में, जो हिमालय के दक्षिण में स्थित हैं, वायु में नमी कम हो जाती है. क्योंकि अधिकतर नमी पहाड़ों पर ही बारिश के रूप में गिर चुकी होती है. इससे यहां का वातावरण शुष्क हो जाता है और तापमान बढ़ जाता है.
पश्चिमी विक्षोभ भी है बड़ी वजह

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