क्या चीन पर अब भरोसा किया जा सकता है? द्विपक्षीय वार्ता के बाद भारत के विदेश सचिव ने दिया ये जवाब
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बुधवार को द्विपक्षीय बातचीत हुई. 2020 में गलवान झड़प के बाद दोनों नेताओं के बीच यह पहली बाइलेटरल मीटिंग थी. करीब एक घंटे चली मीटिंग में दोनों देशों के नेताओं ने सीमा सुरक्षा से लेकर तमाम मुद्दों पर बातचीत की. मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि भारत और चीन के बीच संबंध महत्वपूर्ण है.
रूस के कजान शहर में आयोजित BRICS सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बातचीत हुई. 2020 में गलवान झड़प के बाद दोनों नेताओं के बीच यह पहली बाइलेटरल मीटिंग थी. करीब एक घंटे चली मीटिंग में दोनों देशों के नेताओं ने सीमा सुरक्षा से लेकर तमाम मुद्दों पर बातचीत की. मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि भारत और चीन के बीच संबंध महत्वपूर्ण है. ये संबध ना केवल दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण हैं बल्कि दुनिया में शांति और स्थिरता के लिए भी अहम है. एक दूसरे का सम्मान, भरोसा, संवेदनशीलता संबंधों को आगे का रास्ता दिखाएगी.
लेकिन सवाल यही है कि जिस चीन ने 1962 से लेकर डोकलाम और गलवान तक बार-बार भरोसा तोड़ा है उस पर भारत आगे कैसे और कितना यकीन कर पाएगा? इस सवाल का जवाब विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने उस समय दिया जब द्विपक्षीय वार्ता की ब्रीफिंग के लिए विदेश मंत्रालय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई. इस दौरान एक पत्रकार ने सवाल पूछा कि प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद क्या ये कहा जा सकता है की भारत और चीन के बीच रिश्ते अब सामान्य हो गए हैं और क्या चीन पर अब भरोसा किया जा सकता है?
इसके जवाब में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि मैं सिर्फ इतना ही कह सकता हूं कि पिछले दो दिन में जो कदम हमने उठाए गए हैं, वो हमारे सामने हैं. इन पर जो काम हुआ है वो काफी समय से चल रहा है. इनसे हमारी एक तरह से जो प्रक्रिया है सामान्य रिश्ते बनाने के लिए, वो यात्रा एक तरह से चल पड़ी है. जो पीछे अभी समझौता हुआ है उससे सीमा पर शांति का रास्ता अब खुल गया है. रास्ते पर अब चलने की हम दोनों (भारत-चीन) को आवश्यकता है और जहां तक चीन पर भरोसे का सवाल है, जो हम दोनों के बीच आगे चल के प्रतिक्रिया होगी, हमे आशा है कि उससे भरोसा बढ़ेगा दोनों देशों के बीच.
द्विपक्षीय बातचीत से LAC पर हालात ठीक हो जाएंगे?
इससे पहले एक अन्य सवाल कि इस द्विपक्षीय बातचीत से LAC पर हालात ठीक हो जाएंगे? इसके जवाब में विदेश सचिव ने कहा कि हम निश्चित रूप से उम्मीद करते हैं कि इससे निश्चित रूप से एलएसी पर स्थिति में सुधार होगा. जहां तक विश्वास निर्माण उपायों से संबंधित सवाल की बात है तो हमारे पास कई विश्वास निर्माण उपाय हैं और ये लगातार विकसित होते रहते हैं क्योंकि दोनों पक्ष एक बार फिर कई प्रारूपों में जुड़ते हैं. यह निश्चित रूप से एक ऐसा विषय है जिसके बारे में मुझे लगता है कि दोनों पक्षों के बीच चर्चा होगी. बाकी बॉर्डर पर सैन्य स्थिति के बारे में सैन्य नेतृत्व ही सही बता पाएंगे क्योंकि यह ऑपरेशनल मामलों से संबंधित है.
लद्दाख मुद्दे पर आम सहमति का स्वागत करते हैं: पीएम मोदी
रूस में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत ने अपने कूटनीतिक कौशल का बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए रूस-चीन के साथ संबंधों को संतुलित किया और वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मजबूत बनाई. ऊर्जा क्षेत्र में सफलता, पश्चिम के साथ बढ़ते संबंध, मध्य पूर्व में प्रभाव, और ब्रिक्स में प्रभावशील कम्युनिकेशन से यह संभव हो सका है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बुधवार को द्विपक्षीय बातचीत हुई. 2020 में गलवान झड़प के बाद दोनों नेताओं के बीच यह पहली बाइलेटरल मीटिंग थी. करीब एक घंटे चली मीटिंग में दोनों देशों के नेताओं ने सीमा सुरक्षा से लेकर तमाम मुद्दों पर बातचीत की. मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि भारत और चीन के बीच संबंध महत्वपूर्ण है.
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