कैंडिडेट, कॉन्स्टिट्यूएंसी और कैंपेन... दिल्ली चुनाव में AAP का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने तैयार किया '3C' प्लान
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कांग्रेस आगामी दिल्ली चुनावों में नए जोश और दृढ़ संकल्प के साथ अकेली मैदान में उतरी है. पिछले वर्षों के उलट जहां पार्टी ने कम उपस्थिति बनाए रखी थी, इस बार स्थानीय और केंद्रीय नेतृत्व दोनों पूरी तरह से लगे हुए हैं, जो राष्ट्रीय राजधानी में अपने प्रभाव को पुनः प्राप्त करने के उद्देश्य से एक एकीकृत मोर्चा दिखा रहे हैं.
दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में हाल के हफ्तों में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिला है. कारण, कांग्रेस आगामी दिल्ली चुनावों में नए जोश और दृढ़ संकल्प के साथ अकेली मैदान में उतरी है. पिछले वर्षों के उलट जहां पार्टी ने कम उपस्थिति बनाए रखी थी, इस बार स्थानीय और केंद्रीय नेतृत्व दोनों पूरी तरह से लगे हुए हैं, जो राष्ट्रीय राजधानी में अपने प्रभाव को पुनः प्राप्त करने के उद्देश्य से एक एकीकृत मोर्चा दिखा रहे हैं. इससे दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में हलचल मच गई है. विशेष रूप से इसके पूर्व सहयोगी आम आदमी पार्टी इससे सीधा प्रभावित है.
कांग्रेस की रणनीतिक प्रविष्टि किसी की नज़र से नहीं बची है, खासकर सत्तारूढ़ आप के, जिसने अपनी चुनावी संभावनाओं पर कांग्रेस के मैदान में होने से संभावित प्रभाव को लेकर चिंता व्यक्त की है. पिछले दस दिनों में AAP खेमे से आशंकाओं की फुसफुसाहट अधिक स्पष्ट हो गई है, जो इस बात का संकेत है कि कांग्रेस का पुनरुत्थान वास्तव में AAP के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है. इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिल सकता है. दिल्ली के इन चुनावों में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी का मुकाबला करने के लिए 3Cs पर फोकस किया है. ये 3Cs हैं- कैंडिडेट, कॉन्स्टिट्यूएंसी और कैंपेन.
दरअसल, इन दिनों राजनीतिक दल जनता की भावनाओं को जानने के लिए लगातार सीट-टू-सीट सर्वेक्षणों पर निर्भर हो रहे हैं. ऐसे में पार्टियों को मतदाताओं की बदलती प्राथमिकताओं के साथ तालमेल बिठाने के लिए रणनीतियों और संदेशों को समायोजित करने की जानकारी मिल पाती है. ऐसे में माना जा रहा है कि इन आंतरिक सर्वेक्षणों से मिले फीडबैक ने मतदाताओं की भावनाओं में संभावित बदलाव का संकेत दिया है. और कांग्रेस प्रभावी रूप से इसका लाभ उठाती दिख रही है.
दिल्ली चुनाव में कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की भागीदारी इस बात को रेखांकित करती है कि वह दिल्ली चुनावों में कितनी गंभीरता से उतर रही है. राहुल गांधी जैसे शीर्ष पार्टी नेताओं और कई राज्यों के अन्य चेहरों को प्रचार में शामिल करके कांग्रेस अपने अभियान को मजबूत करना चाहती है, जिससे यह स्पष्ट संदेश जाए कि वह एक बार फिर दिल्ली में एक मजबूत दावेदार है. यह कांग्रेस के लिए केवल संख्या या सीटों के बारे में नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी लड़ाई है जिसका महत्वपूर्ण राजनीतिक और प्रतीकात्मक महत्व है.
Candidate: समय से पहले बड़े चेहरों का चयन
एक रणनीतिक बदलाव में, कांग्रेस ने अपनी सामान्य प्रथा से अलग है चुनाव की घोषणा से काफी पहले दिल्ली की प्रमुख सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी. परंपरागत रूप से उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया में लगने वाले समय के लिए जानी जाने वाली पार्टी अक्सर नामांकन की समय सीमा के करीब अपने उम्मीदवारों की सूची जारी करती थी. हालांकि, इस बार कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा पहले ही करके एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाया है, यह कदम महत्वपूर्ण चुनावी चुनौतियों से निपटने में इसकी तत्परता और इसकी नई रणनीति दोनों को उजागर करता है.
सरनाईक ने इस बात पर जोर दिया कि सार्वजनिक जगहों पर वाहनों के अनियंत्रित पार्किंग से कई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं. इसमें एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड जैसी आपातकालीन सेवाओं का अवरुद्ध होना भी शामिल है. उन्होंने कहा कि कई सोसाइटियों में खुले स्थानों को पार्किंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिससे आपातकालीन सेवाओं के संचालन में बाधा आती है.
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विशेषज्ञों का सुझाव है कि सरकार को धारा 80TTA (बचत खाते के ब्याज) के तहत कटौती की सीमा को 10,000 रुपये से बढ़ाकर 20,000 रुपये करने पर विचार करना चाहिए. इसी तरह, वे धारा 80TTB के तहत सीनियर सिटीजन के लिए कटौती की सीमा को बढ़ाने की सिफारिश करते हैं, जो वर्तमान में 50,000 रुपये है.
कांग्रेस आगामी दिल्ली चुनावों में नए जोश और दृढ़ संकल्प के साथ अकेली मैदान में उतरी है. पिछले वर्षों के उलट जहां पार्टी ने कम उपस्थिति बनाए रखी थी, इस बार स्थानीय और केंद्रीय नेतृत्व दोनों पूरी तरह से लगे हुए हैं, जो राष्ट्रीय राजधानी में अपने प्रभाव को पुनः प्राप्त करने के उद्देश्य से एक एकीकृत मोर्चा दिखा रहे हैं.
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