
कुमार विश्वास हिंदुत्व की पिच पर खतरनाक बैटिंग करने लगे हैं, आखिर इरादा क्या है? । Opinion
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कुमार विश्वास आमतौर पर सॉफ्ट हिंदुत्व वाली लाइन लेकर ही चलते रहे हैं. उनके बीजेपी में जाने की चर्चाएं होती रही हैं पर वो कभी नेहरू या इंदिरा गांधी के खिलाफ नहीं बोलते हैं. राहुल गांधी को भी एक अच्छा व्यक्ति मानते हैं. मौका पड़ने पर बीजेपी-आरएसस की भी चुटकी ले चुके हैं. पर अब उन्होंने कट्टर हिंदुत्व वाली लाइन पकड़ ली है.
कवि, कथा वाचक, मोटिवेशनल स्पीकर, पूर्व राजनीतिज्ञ कुमार विश्वास आज कल बहुत चर्चा में हैं. पिछले दिनों उन्होंने बॉलिवुड कलाकर सोनाक्षी सिन्हा की शादी पर बिना उनका नाम लिए तंज कसकर तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के निशाने पर आ गए थे. इस घटना के बीते अभी 2 हफ्ते भी नहीं बीते हैं कि उन्होंने सैफ अली खान और उनके बेटे तैमूर पर भी बिना नाम लिए हमला बोल दिया. जाहिर है सोशल मीडिया पर उनके विडियो क्लिप जबरदस्त वायरल हो रहे हैं. एक तबका उनका विरोध कर रहा है तो दूसरे लाखों लोग उनका समर्थन करतल ध्वनि से कर रहे हैं. देखने वाली बात यह है कि उनके इन दोनों बयानों में एक बात कॉमन है कि वो दोनों कट्टर हिंदुत्व की अवधारणा का समर्थन करतीं हैं. वैसे तो एक कथावाचक हिंदू धर्म के बारे में ही बात करता है पर विश्वास का हिंदुत्व उसे कहीं आगे जाता दिख रहा है. सबसे बड़ी बात ये है कि जनता उन्हें पसंद कर रही है. ...तो इसे क्या समझा जाए?
1-अब तक सभी दल उनके लिए समान थे
केवल सोनाक्षी और सैफ अली पर ही वो कमेंट नहीं कर रहे हैं पिछले कुछ दिनों से उनकी बोली भाषा में बीजेपी के हार्ड कोर नेताओं वाली स्टाइल नजर आ रही है. विश्वास के इस लहजे को खास और आश्चर्यजनक इस लिए माना जा रहा है क्योंकि अभी तक वो एक मध्यमार्ग ले कर चलते थे. उनके बयानों और भाषणों, और साक्षात्कारों में एक बैलेंस होता था. जिससे लगता था कि वे कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए अपने दरवाजे खुले रखना चाहते हैं.उनके भाषणों में राहुल गांधी की तारीफ भी हो जाती थी, नेहरू और इंदिरा गांधी के खिलाफ वो कभी जुबान खोलते नजर नहीं आते थे. इसके साथ ही कई बार वो बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को भी आड़े हाथों ले लेते थे. बाबा रामदेव पर की भी चुटकी ली थी, जो अभी अचानक से वायरल हो रहा है.एक वीडियो में काव्यपाठ करते हुए कुमार विश्वास कह रहे हैं कि मैंने नवरात्रि में उनका नमक खरीदा, मुझे लगता है कि वह अपने प्रॉडक्ट को ऐसे बेचते हैं जैसे नहीं खरीदो तो सनातन धर्म से उसी दिन इस्तीफा.विश्वास कहते हैं कि उस प्रॉडक्ट पर पर लिखा था 25 लाख साल पुराने हिमालय से निकाला हुआ नमक, और नीचे जो लाइन लिखी थी एक्सपायरी डेट सात फरवरी. इस दौरान वो आचार्य बालकृष्ण का भी तंज करते हुए नजर आते हैं.यही कारण है कि अचानक कुमार विश्वास का यह बदला रूप लोगों को हैरान कर रहा है.
2-कट्टर हिंदुत्व का रास्ता ऐसे समय आ रहा है जब लगता है कि खुद बीजेपी बदल रही है अभी कुछ दिनों से जिस तरह संघ प्रमुख मोहन भागवत और नरेंद्र मोदी ने कट्टरता के विरुद्ध अपना रास्ता दिखाया है उससे तो यही लग रहा है कि कहीं विश्वास फिर से देर तो नहीं कर दिए. क्योंकि एकतरफ संघ प्रमुख कह रहे हैं कि देश में अब मंदिर मस्जिद विवाद बंद होना चाहिए. दूसरी और पीएम मोदी अजमेर दरगाह के लिए चादर भेज रहे हैं. चर्च में जाकर क्रिसमस मनाते हैं. मतलब साफ है कि चाहे संघ हो या बीजेपी इस समय दोनों ही अपने बदलाव के दौर से गुजर रही हैं.पर उत्तर प्रदेश में बीजेपी दूसरे रंग में है. संभल हिंसा के बाद यूपी विधानसभा में भाषण देते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह का भाषण दिया था उससे साफ था उत्तर प्रदेश में हिंदुत्व का मुद्दा अभी गरम रहेगा.
लखनऊ में अटल जी जयंती पर हुए कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ और राजनाथ सिंह की उपस्थिति में भी कुमार विश्वास ने जैसी बातें की थी उससे साफ था कि उन्हें सोनाक्षी सिन्हा की शादी को लेकर जो तंज कसा था उसके लिए उन्हे कोई मलाल नहीं है. उन्होंने फिर एक बार कहा कि मैं रामायण और महाभारत पढने की सबको सलाह देता हूं . अगर हिंदू धर्मशास्त्रों को पढ़ोगे तो ऐसी गलतियां नहीं करोगे. फिर कहता हूं कि अपने घर वालों को राम और सीता के परिवार वालों की पूर जानकारी दो. फिर एक और तंज बिना नाम लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी करते हैं. विश्वास कहते हैं कि मैंने महाभारत और रामायण पढ़ी थी इसलिए समझ गया कि दोस्त दुर्योधन हो गया है तो रथ छोड़ने में ही भलाई है नहीं तो कर्ण की तरह मारे जाएंगे.आज शराब घोटाले का हिसाब दे रहा होता.
3-क्या योगी का आशीर्वाद मिल गया है विश्वास को

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