
कनाडा: पहली बार पगड़ी बांधने वाली भारतीय मूल की सिख महिला ब्राम्पटन शहर की पार्षद बनी
AajTak
कनाडा के ब्राम्पटन शहर में पार्षद चुनाव के परिणाम घोषित किए गए हैं. इस चुनाव में एक सिख महिला ने इतिहास रच दिया है. दरअसल वह पगड़ी बांधने वाली ऐसी पहली सिख महिला बन गई हैं, जिन्होंने पार्षद का चुनाव जीता है. वैसे ब्रैम्पटन निकाय चुनाव में 40 पंजाबी मैदान में थे.
भारतीय मूल की कनाडाई स्वास्थ्यकर्मी नवजीत कौर बराड़ कनाडा के ब्राम्पटन शहर में पार्षद निर्वाचित हुई हैं. वह पगड़ी बांधने वाली पहली सिख महिला हैं, जो यहां पार्षद बनी हैं. वह सोमवार को ब्राम्पटन शहर की पार्षद निर्वाचित हुईं. वह हाल के निगम चुनाव में वार्ड दो और छह से चुनाव जीती हैं. उन्हें इस चुनाव में उन्हें 28.85 प्रतिशत मत मिले.
ब्रैम्पटन गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने ब्रैम्पटन वेस्ट के लिए कंजर्वेटिव पार्टी के टिकट से सांसदी का चुनाव लड़ चुके जर्मेन चेम्बर्स को हराया. चेम्बर्स को 22.59 प्रतिशत मिले. वहीं तीसरे प्रतिद्वंदी कारमेन विल्सन के खाते में 15.41 प्रतिशत ही वोट गिरे. तीन बच्चों की मां बराड़ पेशे से रेस्पिरेटरी थेरेपिस्ट हैं.
केवल 24.56 प्रतिशत ही मतदान हुआ
रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रैम्पटन निकाय चुनावों के लिए 40 पंजाबी मैदान में थे. वहीं 354,884 योग्य मतदाताओं में केवल 87,155 ही वोट करने पहुंचे इसलिए 24.56 प्रतिशत ही मतदान हुआ. बराड़ पहले ब्रैम्पटन वेस्ट में ओंटारियो एनडीपी उम्मीदवार के रूप में दौड़ में थीं. वह प्रोग्रेसिव कंजर्वेटिव एमपीपी अमरजोत संधू से चुनाव हार गई थीं.
मैं अपराध में कमी लाने पर काम करूंगी
बराड़ ने कहा,‘मैं समझती हूं कि बहुत सारे लोग अपने आपके को मुझसे जोड़ सकते हैं. मैं बस रेस्पिरेटरी थेरेपिस्ट हूं. मैंने बहुत सारे लोगों के साथ काम किया है. मैं तीन बच्चों की मां हूं और ब्राम्पटन में ढेर सारे लोग मेरे परिवार हैं.’ उन्होंने नये बुनियादी ढांचे के निर्माण, अपराध में कमी लाने और सड़क सुरक्षा में सुधार पर बल दिया. मालूम हो कि वह चुनाव प्रचार के दौरान पिछले दो महीनों में 40,000 से ज्यादा घरों में गईं और 22,500 से ज्यादा लोगों से बात की.

पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान पर जबरन कब्जे के बाद से बलूच लोग आंदोलन कर रहे हैं. पाकिस्तानी सेना ने पांच बड़े सैन्य अभियान चलाए, लेकिन बलूच लोगों का हौसला नहीं टूटा. बलूच नेता का कहना है कि यह दो देशों का मामला है, पाकिस्तान का आंतरिक मुद्दा नहीं. महिलाओं और युवाओं पर पाकिस्तानी सेना के अत्याचार से आजादी की मांग तेज हुई है. देखें.