
कंगाल हो चुके श्रीलंका में भारतीय कंपनियों ने 6 महीने में लगा दिए 270 करोड़ रुपये
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साल 1948 में आजाद हुआ श्रीलंका अब तक के सबसे बुरे आर्थिक संकट से जूझ रहा है. श्रीलंका को इस संकट से उबारने में भारत उसकी मदद कर रहा है. इस साल 3.5 अरब डॉलर से ज्यादा की मदद भारत कर चुका है.
पड़ोसी देश श्रीलंका गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है. वहां लोगों को खाने-पीने की वस्तुएं और दवा जैसी बुनियादी चीजें भी नहीं मिल पा रही हैं.
श्रीलंका को इस आर्थिक संकट से निकालने में भारत 'पड़ोसी पहले' नीति के तहत मदद कर रहा है. भारत इस साल अब तक 3.5 अरब डॉलर यानी 27 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की मदद कर चुका है. इसके अलावा खाने-पीने का सामान और दवाओं जैसी बुनियादी जरूरतों को भी पूरा कर रहा है.
इतना ही नहीं, श्रीलंका के केंद्रीय बैंक को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को जो 1 अरब डॉलर का भुगतान करना था, उसे भी अभी टाल दिया है. साथ ही भारत ने श्रीलंका को 40 करोड़ डॉलर का भुगतान अपनी ही करंसी से करने को कहा है. आरबीआई का कर्ज लौटाने के लिए श्रीलंका को भारत ने 3 महीने का समय भी दे दिया है.
दो दिन पहले यानी 16 जुलाई को ही भारत ने श्रीलंका को राशन भेजा है. श्रीलंका में स्थित भारतीय उच्चायोग के मुताबिक, 8 करोड़ श्रीलंकाई रुपये का सूखा राशन दिया गया है.
भारत ऐसे हालात में श्रीलंका की मदद कर रहा है, जब वहां अब तक का सबसे बुरा आर्थिक संकट है. अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है और इस वजह से लोगों के पास अब खाने-पीने का सामान भी नहीं बचा है.
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम का कहना है कि श्रीलंका के 63 लाख लोग खाने के संकट से जूझ रहे हैं. अगर जल्द ही कुछ नहीं किया गया, तो वहां हालात बद से बदतर होने में देर नहीं लगेगी. वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के मुताबिक, अभी भी वहां 67 लाख लोग ऐसे हैं जो सही डाइट नहीं ले रहे हैं और 53 लाख लोगों ने खाना कम कर दिया है.

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