ऑस्ट्रेलिया पहुंचे Wikileaks के संस्थापक जूलियन असांजे, अमेरिका से डील के बाद आजाद हुए
AajTak
जूलियन असांजे को 12 साल की कानूनी जंग के बाद आखिरकार आजादी मिल गई है. अमेरिका में तीन घंटे की अदालती कार्रवाई के बाद 6 घंटे का सफर तय कर वह अपने गृह-राष्ट्र ऑस्ट्रेलिया पहुंच गए. असांजे ने अफगानिस्तान और इराक युद्ध से जुड़े अमेरिकी सेना से संबंधित टॉप सीक्रेट का पर्दाफाश किया था.
अमेरिका के टॉप सीक्रेट का खुलासा करने के लिए मशहूर WikiLeaks के संस्थापक जूलियन असांजे अपनी गलती मानने के बाद अपने गृह-राष्ट्र ऑस्ट्रेलिया पहुंच गए हैं. अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट के सामने पेशी के दौरान एक डील के तहत असांजे ने अपनी गलती स्वीकार की और फिर उनकी रिहाई का रास्ता साफ हुआ. अमेरिका ने उनपर कुछ प्रतिबंध भी लगाए हैं लेकिन 12 साल की कानूनी जंग के बाद वह स्वतंत्र हैं.
52 वर्षीय असांजे अमेरिका के मारियाना आइलैंड की राजधानी सायपन से 6 घंटे का सफर तय कर ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा पहुंचे. सायपन की अदालत में असांजे की पेशी हुई, जहां उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित टॉप सीक्रेट का खुलासा किया था, जो कि अमेरिकी जासूसी कानूनों के खिलाफ था.
यह भी पढ़ें: जूलियन असांजे के वो 6 बड़े लीक जिनसे हैरान रह गई दुनिया, Wikileaks की कहानी
अमेरिकी जज ने जन्मदिन की दी अग्रिम बधाई
जूलियन असांजे को डील के तहत सायपन स्थित अदालत के जज ने इंग्लैंड के बेलमार्श जेल में पहले से काटे गए समय की सजा सुनाई, जहां उन्होंने अमेरिका द्वारा प्रत्यर्पित किए जाने की कोशिशों के खिलाफ लड़ते हुए पांच साल जेल में बिताए थे. जज ने उन्हें अगले सप्ताह 53 साल के होने पर "जन्मदिन की अग्रिम बधाई" भी दी. वह 3 जुलाई को 53 साल के हो जाएंगे.
2010 में अमेरिकी सेना का किया पर्दाफाश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को डोमिनिका के सर्वोच्च पुरस्कार 'डोमिनिका अवार्ड ऑफ ऑनर' से सम्मानित किया गया. इस सम्मान का आयोजन गुयाना में आयोजित भारत-कैरिकॉम शिखर सम्मेलन में डोमिनिका की राष्ट्रपति सिल्वेनी बर्टन ने किया. प्रधानमंत्री मोदी ने इस सम्मान को प्राप्त करने के बाद इसे भारत के 140 करोड़ नागरिकों को समर्पित किया है. देखें...
इस सम्मान से सम्मानित होने के बाद पीएम मोदी ने कहा कि गुयाना के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किए जाने पर मैं मेरे मित्र राष्ट्रपति इरफान अली का ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूं. ये सम्मान केवल मेरा ही नहीं बल्कि भारत के 140 करोड़ लोगों का सम्मान है. यह हमारे संबंधों के प्रति आपकी गहरी प्रतिबद्धता का सजीव प्रमाण है जो हमें हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता रहेगा.
अमेरिका के कैलिफोर्निया स्टेट के लॉस एंजलेस शहर में यूएस इमिग्रेशन डिपार्टमेंट एक शख्स के ट्रैवल डॉक्यूमेंट चेक कर रहा था. उसके पास भारतीय पासपोर्ट था. पासपोर्ट पर उसका नाम भानू लिखा हुआ था. बाद में खुलासा हुआ कि भानू कोई और नहीं बल्कि लॉरेंस बिश्नोई का छोटा भाई और दस लाख रुपये का इनामी आतंकवादी अनमोल बिश्नोई है.