एग्जाम पास किया, डिलीवरी के बाद CAPF मेडिकल टेस्ट में माना अनफिट! अब HC से मिली राहत
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हाईकोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को मेडिकल एक्सपर्ट्स की एडवाइज से दिशानिर्देशों के इस प्रावधान की जांच करने का निर्देश दिया है, ताकि ऐसी महिलाओं को पर्याप्त वक्त मिलने पर विचार किया जा सके, जिसके अंदर एक महिला उम्मीदवार प्रेगनेंसी के बाद अपनी मेडिकल फिटनेस हासिल करने की आवश्यकता होती है.
'प्रेगनेंसी के बाद 6 सप्ताह में CAPF के लिए फिजिकली फिट होना, 'बहुत कम' समय है...' दिल्ली हाईकोर्ट ने सशस्त्र सीमा बल (SSB) के लिए 'अनफिट' करार देकर अयोग्य घोषित की गई महिला को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय सशत्र पुलिस बलों (CAPFs) में नौकरी के लिए मेडिकल टेस्ट के समय गर्भवती महिला उम्मीदवारों को डिलीवरी के बाद अपेक्षित फिटनेस हासिल करने के लिए दिया जाने वाला समय बहुत कम है. साथ ही अधिकारियों को उचित समय देने के प्रावधानों की जांच का निर्देश दिया है.
प्रेगनेंसी के बाद अधिक वजन के चलते बताया अयोग्य न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, महिला ने एसएसबी कॉन्स्टेबल भर्ती के फिजिकल टेस्ट में अयोग्य घोषित करार दिए जाने के बाद अदालत का दरवाजा खटखटाया था. महिला अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटे के तहत एसएसबी कॉन्स्टेबल (धोबी) पद पर नौकरी पाना चाहती थी. लिखित परीक्षा पास करने के बाद जब महिला गर्भावस्था के आखिरी चरण में मेडिकल टेस्ट देने गई तो उसका वजह अधिक था. इसलिए उसे मेडिकल जांच टाल दी गई और डिलीवरी के बाद फिर से टेस्ट के लिए बुलाया. लेकिन नियमों के अनुसार अधिक वजन होने की वजह से उसे अयोग्य घोषित कर दिया.
सरकारी हॉस्पिटल में सही मिला BMI इसके बाद महिला ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की जिसमें कहा गया कि जब वह डिलीवरी के बमुश्किल चार महीने के बाद मेडिकल बोर्ड के सामने पेश हुई, तो उसे अधिक वजन के आधार पर अनफिट घोषित कर दिया गया. साथ ही मेडिकल बोर्ड की समीक्षा में उसे अयोग्य घोषित कर दिया, क्योंकि महिला का बॉडी मास इंडेक्स (BMI) 25.3 था, जो सीएपीएफ में नियुक्ति के लिए निर्धारित स्वीकार्य सीमा से अधिक था. मेडिकल बोर्ड के रिजल्ट से नाखुश महिला ने ग्वालियर के एक सरकारी हॉस्पिटल में बीएमआई कराया तो वह 24.8 था, लेकिन अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं गई है. तब महिला ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
क्या है नियम? कोर्ट को बताया गया कि सीएपीएफ और असम राइफल्स में भर्ती मेडिकल जांच के दिशानिर्देशों के पैराग्राफ 5.3 के अनुसार, अगर गर्भवास्था से संबंधित यूरीन टेस्ट पॉजिटिव है, तो उम्मीदवार को अस्थायी रूप से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है. डिलवरी के 6 सप्ताह बाद फिर से जांच की जाती है. बशर्ते रजिस्टर्ड डॉक्टर से फिटनेस का मेडिकल सर्टिफिकेट पेश किया जाए.
कोर्ट ने प्रावधान की जांच करने का निर्देश दिया जस्टिस रेखा पल्ली और जस्टिस शालिंदर कौर की बेंच ने कहा, 'गर्भावस्था के बाद महिला उम्मीदवार को अपनी मेडिकल फिटनेस हासिल करने के लिए दिशानिर्देशों के तहत 6 सप्ताह की यह अवधि हमारी राय में बहुत कम है, क्योंकि प्रगनेंसी के दौरान वजन बढ़ने के बाद 6 सप्ताह में फिर से फिजिकली फिट होना और वजन कम करना संभव नहीं हो सकता. मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के तहत भी ड्यूटी से अनुपस्थिति की लंबी अवधि की परिकल्पना की गई है.'
हाईकोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को मेडिकल एक्सपर्ट्स की एडवाइज से दिशानिर्देशों के इस प्रावधान की जांच करने का निर्देश दिया है, ताकि ऐसी महिलाओं को पर्याप्त वक्त मिलने पर विचार किया जा सके, जिसके अंदर एक महिला उम्मीदवार प्रेगनेंसी के बाद अपनी मेडिकल फिटनेस हासिल करने की आवश्यकता होती है. कोर्ट ने निर्देश दिया कि एक सप्ताह के अंदर फिर से नए मेडिकल बोर्ड द्वारा जांच की जाए और अगर महिला का बीएमआई 25 से कम पाया जाता है, तो उसे चार सप्ताह के भीतर कॉन्स्टेबल (धोबी) पद पर चयनित किया जाएगा.
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