
एक था ATM...! नोटबंदी के मोस्ट वॉन्टेड की UPI राज में गजब बेकदरी
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ATM History: कोरोना के बाद से लोग डिजिटल लेनदेन को ज्यादा पसंद करने लगे हैं. अब जब कैश (Cash) में लेनदेन कम होगा तो फिर ATM तक लोग क्यों जाएंगे? यही कारण है कि ATM के अस्तित्व पर सवाल उठने लगे हैं.
करीब दो दशक पहले अगर कहीं ATM खुलते थे, तो उस इलाके की पहचान ATM से होने लगती थी. कोई कहता, 'मेरा घर तो ATM के ठीक सामने है', तो कोई कहता था कि 'ATM के साथ वाली गली में मेरी शॉप है'. हालांकि आज भी ATM है, गली-गली में है. लेकिन अब इसकी पहचान धूमिल होती जा रही है.
डिजिटल क्रांति अच्छी बात है, लेकिन टेक्नोलॉजी के बदलते दौर में जैसे PCO और STD को लोग आज भूल गए, शायद आने वाले वर्षों में ATM भी भूली-बिसरी बात न हो जाए. बदलते जमाने में खत की परंपरा खत्म हुई तो पोस्ट ऑफिस (Post Office) का अस्तित्व खतरे में आ गया, हालांकि पोस्ट ऑफिस को जीवित रखने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. दरअसल, पहले नोटबंदी और फिर कोरोना के बाद से लोग डिजिटल लेनदेन को ज्यादा पसंद करने लगे हैं. अब जब कैश (Cash) में लेनदेन कम होगा तो फिर ATM तक लोग क्यों जाएंगे? यही कारण है कि ATM के अस्तित्व पर सवाल उठने लगे हैं. हालांकि आज की तारीख में ATM को भी अपग्रेड किया जा रहा है. आज ये नकदी निकासी के साथ-साथ जमा, फंड ट्रांसफर, बिल भुगतान और खाता जानकारी जैसी सेवाएं प्रदान करते हैं.
आइए सबसे पहले (Automated Teller Machine- ATM) के इतिहास पर एक नजर डालते हैं: भारत में पहला एटीएम साल 1987 में HSBC ने मुंबई में लगाया था. उसके अगले 10 वर्षों में यानी 1997 तक देश में करीब 1500 एटीएम खुले. अगर दुनिया में पहला ATM की बात करें तो 27 जून 1967 को लंदन के एनफील्ड में एक कैश मशीन का उपयोग किया गया था, जिसे दुनिया की पहली एटीएम के रूप में मान्यता प्राप्त है. इस ATM को बार्कलेज बैंक ने शुरू किया था. 80 के दशक के दौरान दुनिया के कई बड़े देशों में ATM मुख्यधारा में शामिल हो गए थे.
इसके बाद साल 1997 में इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) ने 'स्वधन' नामक से पहला ज्वाइंट ATM नेटवर्क शुरू किया, जिसे इंडिया स्विच कंपनी (ISC) ने संचालित किया. हालांकि, यह 2003 में बंद हो गया. उसके बाद 2004 में नेशनल फाइनेंशियल स्विच (NFS) की स्थापना हुई, जो आज भारत का सबसे बड़ा ATM नेटवर्क है, जिसे नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) संचालित करता है.
आज भारत में कुल इतने ATM जनवरी 2022 तक, NFS नेटवर्क के तहत भारत में 2,55,000 से अधिक ATM थे, जिसमें नकदी जमा मशीनें और रिसाइक्लर शामिल थे. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) और NPCI के आंकड़ों के आधार पर 2023 तक भारत में लगभग 2,60,000 से 2,70,000 ATM होने का अनुमान था. फिलहाल भारत में लगभग 2.8 से 3 लाख ATM होने की संभावना है. फिलहाल देश में एक लाख लोगों पर 15 ATM हैं. ATM की संख्या और प्रभाव के आधार पर SBI सबसे बड़ा ऑपरेटर है, लेकिन कैश मैनेजमेंट में CMS का दबदबा है.
भारत में अब तक कितने ATM बंद हो चुके हैं... RBI के आंकड़ों के अनुसार, भारत में ATM की संख्या सितंबर 2023 में 2,19,000 थी, जो सितंबर 2024 में घटकर 2,15,000 हो गई. इसका मतलब ये है कि इस अवधि में करीब 4 हजार ATM बंद हुए. यही नहीं, साल 2017 के बाद से ही ATM की संख्या में बढ़ोतरी धीमी हो गई, और साल-दर-साल इसका दायरा बढ़ता गया है. खासकर 2022 के बाद से ऑफ-साइट ATM (बैंक परिसर से बाहर स्थित) की संख्या में लगातार गिरावट आई है. यह डिजिटल भुगतान (जैसे UPI) के बढ़ते उपयोग, ATM संचालन की उच्च लागत, और बैंक शाखाओं के विलय के कारण हो रहा है.

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