एक-एक करके पाकिस्तान का साथ क्यों छोड़ रहे दोस्त? अब नहीं लुटा रहे अपना खजाना
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यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान आर्थिक संकट में फंसा है बल्कि पहले भी वो आर्थिक मुसीबत देख चुका है. लेकिन इस बार आर्थिक संकट के साथ-साथ राजनीतिक संकट ने स्थिति को बदतर कर दिया है. पाकिस्तान के मित्र देश अमेरिका, यूएई, सऊदी और चीन जो उस पहले कर्ज देकर बचा लेते थे, अब ये देश कर्ज देने से पीछे हट रहे हैं या कठिन शर्तों पर कर्ज दे रहे हैं.
महीनों की कोशिश के बाद जब पिछले महीने पाकिस्तान और IMF के बीच बेलआउट पैकेज को लेकर सहमति बनी तब शहबाज शरीफ बेहद भावुक हो गए. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने भरे मन से कहा, 'मैं खुदा की कसम खाकर कहता हूं कि ये तरीका नहीं जिंदगी गुजारने का...मैं जब उनसे (विदेशी नेताओं से) मिलता हूं तो उनके चेहरे पढ़ता हूं कि शहबाज साहब आ गए हैं....चाय पिएं....हमें पता है कि आप अगली बात कर्ज की करने वाले हैं.'
दूसरे देशों से कर्ज मांग-मांग कर देश चलाने का दर्द शहबाज शरीफ के चेहरे पर साफ दिख रहा था. शहबाज शरीफ की हताशा जायज भी है क्योंकि अब पाकिस्तान को पहले की तरह अमेरिका, सऊदी अरब, यूएई, चीन समेत मित्र देशों से आसानी से आर्थिक मदद नहीं मिल रही. पूर्व में अमेरिका को आर्थिक संकटों से निकालने वाला अमेरिका भी अब उससे पीछा छुड़ा रहा है.
पाकिस्तान हमेशा से दूसरे देशों की आर्थिक मदद का आदी रही है. भारत को देखते हुए उसका सैन्य बजट हमेशा से काफी अधिक रहा है जिस कारण वो शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे पर खर्च के लिए कर्ज पर ही निर्भर रहा है. पहले जब भी पाकिस्तान आर्थिक संकट में फंसा, अमेरिका ने आकर उसे बचा लिया पर अब स्थिति बदल गई है.
यहां तक कि पाकिस्तान को अमेरिका के दबदबे वाले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से भी अब कर्ज लेने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. आईएमएफ ने पाकिस्तान की सरकार को अपना खर्च कम करने और राजस्व बढ़ाने के लिए कड़े कदम उठाने पर मजबूर किया और उसके बाद ही उसे मदद दी.
अमेरिका की तरह ही इस बार के आर्थिक संकट में पाकिस्तान के मित्र देश समझे जाने वाले सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और चीन उसकी मदद से पीछे हट रहे हैं. इसकी वजह क्या है? अमेरिका की डेलावेयर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार प्रोफेसर मुक्तदर खान कहते हैं, 'पाकिस्तान अपनी अर्थव्यवस्था को ठीक ढंग से संभाल नहीं पा रहा है और वहां जो राजनीतिक अस्थिरता है, इन दोनों ही बातों से उसके पुराने देश दोस्त सऊदी अरब, अमेरिका, यूएई, चीन घबराए हुए हैं. वो पाकिस्तान को बड़ी मदद से पीछे हट रहे हैं.'
'अमेरिका और पाकिस्तान कभी दोस्त रहे ही नहीं'
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