ईरान पर 700 करोड़ की उधारी, भारतीय कंपनियों ने कहा- पैसा दो फिर मिलेगा चावल
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ईरान की मुद्रा रियाल में भारी गिरावट के कारण सरकार के लिए आयात काफी महंगा हो गया है. भारतीय चावल निर्यातकों के लगभग 700 करोड़ रुपये ईरान पर बकाया है. लेकिन मुद्रा संकट के कारण ईरान इसका भुगतान नहीं कर पा रहा है.
मुद्रा वैल्यू में भारी गिरावट और उच्च महंगाई दर से कराह रहे इस्लामिक देश ईरान को एक और झटका लगा है. भारत के चावल निर्यातक कंपनियों ने फैसला किया है कि बिना साख पत्र (लेटर ऑफ क्रेडिट) या नकद के बिना ईरान को चावल नहीं भेजा जाएगा.
ईरान विदेशी मुद्रा संकट और उच्च महंगाई दर से जूझ रहा है. महंगाई की वजह से रमजान में भी ईरानी नागरिक जरूरी समान को पर्याप्त मात्रा में नहीं खरीद पा रहे हैं. महंगाई का आलम यह है कि लोग समान खरीदने से पहले दुकानों के बीच कीमतों की तुलना कर रहे हैं. इसके बाद भी कई बार उन्हें यह फैसला लेना पड़ रहा है कि किस समान के बिना इस सप्ताह गुजारा चलाया जा सकता है.
ईरान पर 700 करोड़ की उधारी
ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय चावल निर्यातकों के लगभग 700 करोड़ रुपये ईरान पर बकाया है. मुद्रा संकट के कारण ईरान इस बकाया राशि का भुगतान नहीं कर पा रहा है. इसी वजह से भारतीय चावल निर्यातकों ने केवल साख पत्र या नकद पर ही ईरान को बासमती चावल भेजने का फैसला किया है.
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (AIREA) ने ईरान के गवर्नमेंट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन (GTC) को अपने इस फैसले से अवगत करा दिया है. AIREA ने ईरानी गवर्नमेंट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन से कहा है कि ईरान लेटेस्ट निर्यात का भी भुगतान करने में विफल रहा है. इस खेप को जनवरी-मार्च के दौरान ईरान भेजा गया था.
हालांकि, भारतीय चावल निर्यातकों के इस फैसले पर ईरान सरकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
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