
इस यूरोपीय देश ने दिया भारत का साथ, कहा- रूसी तेल खरीदना भारत की घरेलू नीति
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भारत दौरे पर आए यूरोपीय देश स्वीडन के विदेश व्यापार मंत्री जोहान फोर्सेल ने कहा कि भारत की ओर से रूसी तेल खरीदना भारत की घरेलू नीति के अंतर्गत आता है. मंत्री ने साफ करते हुए कहा कि भारत को क्या करना है और क्या नहीं यह बताने के लिए मैं नहीं आया हूं.
यूक्रेन से युद्ध के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया है. जिसके बाद से रूस भारत को सस्ते दामों में तेल बेच रहा है. युद्ध की शुरुआत से ही भारत भारी मात्रा में रूसी तेल खरीद रहा है. भारत की इस नीति पर लगातार यूरोपीय देश सवाल उठाते रहे हैं.
वहीं, अब यूरोपीय देश स्वीडन के विदेश व्यापार मंत्री जोहान फोर्सेल ( Johan Forssell ) ने कहा है कि भारतीय ऊर्जा नीति के तहत खरीदे जा रहे रूसी तेल में स्वीडन किसी तरह से हस्तक्षेप नहीं करेगा. मीडिया से बातचीत के दौरान फोर्सेल ने कहा कि स्टॉकहोम, ऊर्जा स्थिरता के लिए भारत की नीतियों को समझता है और रूसी तेल खरीदना भारत की 'घरेलू नीति' के अंतर्गत आता है.
स्वीडन की ओर से यह बयान भारत के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अगले साल 1 जनवरी से यूरोपीय संघ परिषद की अध्यक्षता स्वीडन को मिलने जा रही है. संयोग से उसी वक्त भारत भी जी-20 की अध्यक्षता करेगा और उसमें यूरोपीय यूनियन के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे.
हम भारत को सीखाने नहीं आए हैंः स्वीडन मंत्री दो दिवसीय भारत दौरे पर आए स्वीडिश मंत्री ने कहा, मैं यहां भारत को यह बताने के लिए नहीं आया हूं कि उन्हें क्या करना है और क्या नहीं. यह भारत की आंतरिक नीति का हिस्सा है और यह भारत को तय करना है कि उसे किस देश से तेल खरीदना है. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि यूक्रेन संकट जल्द ही समाप्त हो जाएगा.
वर्तमान में जिस तरह से रूसी तेल खरीदने पर भारत को पश्चिमी देशों के सवालों का सामना करना पड़ा है उस स्थिति में स्वीडिश मंत्री के इस बयान से भारत को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है क्योंकि स्वीडन भले ही जी-20 का मेंबर नहीं है लेकिन यूरोपीय संघ की अध्यक्षता के माध्यम से नॉर्डिक क्षेत्र की आवाज को मजबूत कर सकता है. यूरोपीय यूनियन की वर्तमान में अध्यक्षता चेक रिपब्लिक के पास है, जो 31 दिसंबर को समाप्त हो जाएगी.
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