इस बार उत्तरी गोलार्ध पर ज्यादा रोशनी-गर्मी देगा सूरज, भारत भी इसी हिस्से में, जानिए वजह?
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वैज्ञानिकों के अनुसार तीन दिन पहले यानी 20 मार्च को बसंत ऋतु की शुरुआत हो चुकी है. क्योंकि इसी दिन वर्नल इक्वीनॉक्स दर्ज किया गया है. इक्वीनॉक्स यानी जब दिन और रात का समय लगभग बराबर हो. लेकिन इस बार सूरज धरती के उत्तरी गोलार्ध में ज्यादा रोशनी देने वाला है. ऐसा दावा अमेरिकी वैज्ञानिकों ने किया है. धरती के इसी हिस्से में भारत भी आता है. यानी ज्यादा रोशनी और ज्यादा गर्मी. आइए जानते हैं इसकी वजह...
वैज्ञानिकों के अनुसार तीन दिन पहले यानी 20 मार्च को बसंत ऋतु (Spring) की शुरुआत हो चुकी है. क्योंकि इसी दिन वर्नल इक्वीनॉक्स (Vernal Equinox) दर्ज किया गया है. इक्वीनॉक्स यानी जब दिन और रात का समय लगभग बराबर हो. धरती के दोनों हिस्सों पर सूरज की रोशनी करीब-करीब बराबर पड़े. वर्नल इक्वीनॉक्स को अफ्रीकी देश केन्या के दक्षिण में स्थित मेरू शहर से मापा जाता है. यहां पर सूरज की रोशनी इक्वीनॉक्स के दिन एकदम भूमध्यरेखा के सामने से आती है. लेकिन इस बार सूरज धरती के उत्तरी गोलार्ध में ज्यादा रोशनी देने वाला है. ऐसा दावा अमेरिकी वैज्ञानिकों ने किया है. धरती के इसी हिस्से में भारत भी आता है. यानी ज्यादा रोशनी और ज्यादा गर्मी. आइए जानते हैं इसकी वजह... (फोटोः गेटी) अब 20 जून को फिर दिन की रोशनी और रात में अंतर आएगा. इस दिन सूर्य उत्तर की तरफ बढ़ेगा उसके बाद सूरज की रोशनी धरती उत्तरी गोलार्ध (Northern Hemisphere) लगातार बढ़ेगा. लेकिन इस बार उसके पहले ही सूरज की रोशनी सीधे उत्तरी गोलार्ध पर ज्यादा पड़ेगी. क्योंकि सूरज इस बार 33 डिग्री पूर्व की ओर उगेगा. शाम को इसी डिग्री पर करीब 15 घंटे बाद अस्त होगा. आमतौर पर यह 23 डिग्री पर होता है. 10 डिग्री का अंतर आने से उत्तरी गोलार्ध पर गर्मी बढ़ जाएगी. (फोटोः गेटी) आपको ये पता है कि धरती अपनी धुरी पर 23.5 डिग्री कोण पर झुकी हुई है. इसी झुकाव के साथ वह सूरज के चारों तरफ चक्कर लगाती है. इसी झुकाव की वजह से धरती के कुछ हिस्सों पर तीव्र धूप, तेज रोशनी मिलती है. उत्तरी गोलार्ध (Northern Hemisphere) में गर्मी का मौसम 20 जून के बाद शुरू होगा. ट्रॉपिक ऑफ कैंसर पर तो सूरज की रोशनी धरती के 23.5 डिग्री कोण के अनुपात में ही मिलेगी. लेकिन उत्तरी गोलार्ध पर ये 10 डिग्री के अंतर की वजह से ज्यादा होगी. (फोटोः NOAA)Drone Delivery: ड्रोन का इस्तेमाल अब खेती से लेकर डिलीवरी और युद्ध तक में हो रहा है. हालांकि, शहरों और रिमोट एरिया में ड्रोन डिलीवरी में एक प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं. इसकी वजह इनकी पहुंच का आसान होना है. जहां रिमोट एरिया में रास्तों की चुनौती होती है, तो शहरों में ट्राफिक इन रास्ते का रोड़ा होता है. ऐसे में ड्रोन्स कैसे डिलीवरी के क्षेत्र में क्रांति ला रहे हैं.