इलेक्ट्रिक-हाइब्रिड व्हीकल्स पर फोकस, फिर क्या बजट के बाद सस्ती होंगी कार-बाइक?
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सरकार से मांग है कि सरकार रूरल सेगमेंट में ज्यादा खर्च करने के लिए कैपिटल एक्सपेंडिचर बढ़ाए जिससे रूरल डिमांड बढ़ेगी जो 2-व्हीलर्स और एमपीवी सेगमेंट की बिक्री बढ़ाएगी.
देश में गाड़ियों की बिक्री तेज रफ्तार से दौड़ रही है. अप्रैल-जून तिमाही में वाहनों की रिटेल बिक्री 9 फीसदी बढ़ गई है. इस दौरान SUV से लेकर कमर्शियल व्हीकल्स तक की बिक्री में तेजी दर्ज की जा रही है. लेकिन ट्रैक्टर की बिक्री में बीती तिमाही के दौरान कमी आई है जो रूरल डिमांड में कमी का संकेत दे रही है. ऐसे में वाहन बाजार की मांग है कि सरकार इस क्षेत्र में अपना फोकस बढ़ाए यानी ऑटो सेक्टर अपने से ज्यादा रियायतें किसानों और ग्रामीण इलाकों के निवासियों के लिए कर रहा है.
दरअसल, इनकी इनकम बढ़ेगी तभी वाहनों की बिक्री में भी इजाफा होगा. सरकार से मांग है कि सरकार रूरल सेगमेंट में ज्यादा खर्च करने के लिए कैपिटल एक्सपेंडिचर बढ़ाए जिससे रूरल डिमांड बढ़ेगी जो 2-व्हीलर्स और एमपीवी सेगमेंट की बिक्री बढ़ाएगी.
इलेक्ट्रिक-हाइब्रिड व्हीकल्स को मिलेगा बढ़ावा! इसके साथ ही जानकारों का मानना है कि इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड व्हीकल्स को बढ़ावा देने के लिए सरकार को इनोवेशन पर भी ध्यान देना चाहिए. ग्रामीण इलाकों के साथ-साथ ऑटो सेक्टर हर वर्ग की इनकम में बढ़ोतरी के लिए बजट एलानों का इंतजार कर रहा है.
ऐसे में टैक्स रिफॉर्म की भी उम्मीद है जिसमें 2-व्हीलर्स पर जीएसटी में कमी का रास्ता साफ किया जा सके. वहीं इनकम टैक्स में छूट का दायरा बढ़ाने से भी लोगों के पास ज्यादा पैसा बचेगा जिससे डिस्पोजेबल इनकम बढ़ेगी जो डिमांड में इजाफा करेगी.
फेम-3 स्कीम लाने का होगा एलान! अगर ऑटो सेक्टर की कुछ दूसरी प्रमुख डिमांड्स को देखा जाए तो उनमें शामिल हैं फेम-3 के जरिए इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देना, हाइब्रिड वाहनों को टैक्स की दर में कमी का फायदा देना, पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाना और रोड इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च की रफ्तार को जारी रखा जाना. ऑटो सेक्टर का देश की अर्थव्यवस्था में काफी बड़ा योगदान है जिसे देखते हुए सरकार को इन सभी डिमांड्स पर गौर करना चाहिए.
रोजगार देने में सबसे आगे! आंकड़ों के मुताबिक देश की GDP में वाहन बाजार की 7.1 फीसदी हिस्सेदारी है, वहीं मैन्युफैक्चरिंग GDP में इसका 49 परसेंट हिस्सा है. इस सेक्टर में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर साढ़े 3 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला हुआ है. इस साल के आखिर तक देश की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री का आकार बढ़कर 15 लाख करोड़ होने का अनुमान है.
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