इजरायल-लेबनान बॉर्डर और गाजा का वॉर फ्रंट... आजतक रिपोर्टर गौरव सावंत और अशरफ वानी की आंखों-देखी रिपोर्ट
AajTak
इजरायल और हमास के बीच पिछले 21 दिन से भीषण युद्ध जारी है. इस युद्ध में लेबनान का संगठन हिज्बुल्ला भी कूद गया है. हिज्बुल्ला के रॉकेटों के जवाब में इजरायल भी लेबनान में बमबारी कर रहा है. इस युद्ध को कवर कर वापस भारत लौटे आज तक संवाददाता गौरव सावंत और अशरफ वानी ने अपनी-अपनी वॉर कवरेज स्टोरी शेयर की है.
किसी भी बड़ी खबर को देखने के लिए दशकों से 'आज तक' सबसे पसंदीदा और भरोसेमंद चैनल रहा है. यही कारण है जब भी देश या दुनिया में कोई बड़ी घटना होती है, आज तक के पत्रकार पूरी टीम के साथ उस खबर को अपने दर्शकों तक सबसे पहले और विस्तार से पहुंचाने में कोई कमी नहीं छोड़ते हैं.
ऐसा ही कुछ 7 अक्टूबर को हुआ जब इजराल के इतिहास में उस पर सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ. इस हमले के कुछ घंटे के भीतर ही इजराइल के सैकड़ो सैनिक और आम नागरिक हमास के गोलियों का शिकार बन गए.
यह खबर इजरायल और भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सबसे बड़ी खबर बन गई. हर बार की तरह इस बार भी इंडिया टुडे ग्रुप के तीन संवाददाता गाजा और इजरायल के बीच शुरू हुए इस युद्ध को कवर करने के लिए इजरायल के अलग-अलग इलाकों में पहुंचने लगे.
गाजा जाने के लिए मैं उत्सुक थाः गौरव सावंत
जहां तक मेरी बात है मैं गाजा जाने के लिए उत्सुक ही नहीं बल्कि बेकरार था लेकिन गाजा को इजरायली सेना ने घेराबंद कर दी थी. किसी भी व्यक्ति को ना ही वहां जाने की इजाजत थी और ना ही वहां से बाहर निकलने की. जाहिर है ऐसी स्थिति मैं गाजा नही जा सका. लेकिन आज तक ने फैसला किया कि वह मुझे इजरायल के अलावा दक्षिणी लेबनान भेजेंगे.
लेबनान का वीजा लेकर दूसरे ही दिन मैं लेबनान पहुंचा और देश का एक मात्र ऐसा पत्रकार बना जिसने हिज्बुल्लाह और इजरायल के बीच युद्ध की विस्तार से कवरेज की. लेबनान एक ऐसा देश है जहां हिज्बुल्लाह की मर्जी के बिना पता भी नहीं हिल सकता. इसलिए लेबनान पहुंचकर मैं सबसे पहले हिज्जबुल्लाह के लड़ाकों से मिला. ताकि लेबनान की सीमावर्ती इलाके में जाने की इजाजत मिल सके.
थाईलैंड में समलैंगिक विवाह कानून लागू हो गया है जिसके बाद वहां के समलैंगिक कपल्स को शादी करने का कानूनी अधिकार मिल गया है. थाईलैंड की तरह दुनिया के कई देशों में समलैंगिकों को शादी करने का हक मिला हुआ है लेकिन दुनिया में कुछ देश ऐसे भी हैं जहां समलैंगिकता पर रोक है और इसके लिए मौत की सजा तक दी जा सकती है.
डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनते ही बाइडन कार्यकाल के रिफ्यूजी प्रोग्राम को निरस्त कर दिया है. इस प्रोग्राम के तहत पाकिस्तान में फंसे हुए अफगानी शरणार्थियों को अमेरिका में सेटल करवाना था. बाइडन प्रशासन ने पाकिस्तान से कहा था कि कुछ ही समय में अमेरिका सारे शरणार्थियों को शरण दे देगा लेकिन उनकी सत्ता रहते हुए ऐसा नहीं हो पाया.
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अगर ब्रिक्स देश अपनी करेंसी लाते हैं तो उनके लिए अमेरिका से व्यापार करना काफी मुश्किल हो जाएगा क्योंकि वो इन देशों पर 100 प्रतिशत का टैरिफ लगा देंगे. ट्रंप की इस धमकी पर अर्थशास्त्रियों ने प्रतिक्रिया दी है. अर्थशास्त्री रघुराम राजन का कहना है कि ट्रंप प्रतिक्रिया देने में जल्दबाजी कर रहे हैं.
चीन ने बांग्लादेश को लोन चुकाने के लिए बड़ी राहत दी है. चीन की शी जिनपिंग सरकार ने बांग्लादेश को दिए कर्ज को चुकाने की अवधि को 20 साल से बढ़ाकर 30 साल कर दिया है. चीन दौरे पर पहुंचे बांग्लादेश के विदेश मंत्री तौहीद हुसैन ने चीनी विदेश मंत्री से मुलाकात के दौरान यह अनुरोध किया था, जिसे चीन ने स्वीकार कर लिया है.
अपनी चुनावी घोषणा के अनुरूप ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सख्त प्रवासन नीतियों पर अमल शुरू कर दिया है. इस सख्ती के दायरे में वैसे 20 हजार भारतीय हैं जिसके बारे में अमेरिका कहता है कि इनके पास अमेरिका में रहने के वैध कागज नहीं हैं और इन्हें वापस भेजा जाएगा. अमेरिका ने ऐसे 20 हजार भारतीयों को डिपोर्टेशन लिस्ट में डाल दिया है.
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वो एच-1बी वीजा के दोनों पक्षों को पसंद करते हैं. उनका कहना है कि अमेरिका में वैसे लोग ही आने चाहिए जो बेहद कुशल हैं. लेकिन, वीजा और प्रवासियों पर सख्ती दिखा रहे ट्रंप ने एफबीआई डायरेक्टर के लिए जिस काश पटेल को नियुक्त किया है, वो खुद एक प्रवासी माता-पिता से जन्मे अमेरिकी हैं.
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत आने के बाद से ही बांग्लादेश की अंतरिम सरकार उनके प्रत्यर्पण के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही है. अब बांग्लादेश ने गीदड़भभकी देते हुए कहा है कि अगर भारत पूर्व पीएम शेख हसीना को वापस नहीं भेजता है तो वह इस मामले को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने उठाएगा और उनसे हस्तक्षेप की मांग करेगा.