
इकोनॉमी में डिजिटल इंडिया को झटका! नकदी का इस्तेमाल रिकॉर्ड लेवल पर पहुंचा
AajTak
वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान देश में नकदी का इस्तेमाल जीडीपी के 14.7 फीसदी तक चला गया है, जो अब तक का एक रिकॉर्ड है. नोटबंदी वाले साल में कैश-जीडीपी अनुपात काफी कम था और उसके बाद यह बढ़ता ही गया है.
मोदी सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था को ज्यादा से ज्यादा डिजिटल बनाने की कोशिश कर रही है. लेकिन हाल में रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़े इस अभियान को तगड़ी चोट पहुंचाते दिख रहे हैं. वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान देश में नकदी का इस्तेमाल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 14.7 फीसदी तक चला गया है, जो अब तक का एक रिकॉर्ड है. नोटबंदी वाले साल में कैश-जीडीपी अनुपात काफी कम था और उसके बाद यह बढ़ता ही गया है. भारतीय रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार इसके पहले हमेशा नकदी और सकल घरेलू उत्पाद का अनुपात 12 फीसदी से कम रहा है.
साल 2023 में इसे डिफॉल्ट कर दिया गया. हालांकि न्यू टैक्स रिजीम को लेकर अक्सर कहा जाता है कि इसमें कुछ भी एक्स्ट्रा टैक्स छूट नहीं मिलती है, लेकिन ऐसा नहीं है. आप अन्य डिडक्शन का बेनिफिट उठा सकते हैं. सिर्फ सैलरीड ही नहीं, बल्कि अन्य लोग भी न्यू टैक्स रिजीम के तहत एक्स्ट्रा डिडक्शन का लाभ उठा सकते हैं.

इस भारी गिरावट के बाद निवेशकों को ट्रंप-जेलेंस्की की मुलाकात (Trump-Zelensky Meeting) से रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा हुए भू-राजनीतिक तनाव को खत्म करने का रोडमैप मिलने की उम्मीद थी और अनुमान था कि सोमवार को भारतीय बाजार में थोड़ी तेजी आ सकती है, लेकिन ट्रंप-जेलेंस्की के बीच बहस (Trump-Zelensky) ने चिंता पैदा कर दी है.