
'आगे बढ़ रही हैं बेटियां...', स्कूलों में लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या ज्यादा: रिपोर्ट
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एएसईआर संस्था की उत्तर प्रदेश स्टेट कोऑर्डिनेटर नुज़हत मलिक ने आज तक को बताया कि, एएसईआर ने सर्वेक्षण के दौरान पाया कि लड़कों की अपेक्षा लड़कियां स्कूल अधिक जाती हैं. चाहे वह शहरी क्षेत्र हों या फिर ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में हो.
'पढ़ रही हैं बेटियां, आगे बढ़ रही हैं बेटियां', जी हां, एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन (ASER) संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक, लड़कियां बोर्ड परीक्षा में ही लड़कों को नहीं पछाड़ रही बल्कि स्कूल जाने के मामले में भी आगे हैं. एएसईआर सर्वे में यह निकल कर सामने आया है. दरअसल, एएसईआर नामक संस्था पूरे देश में स्कूली शिक्षा के स्तर को लेकर सर्वे कराती है, जिसमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्र दोनों शामिल है.
वहीं, एएसईआर संस्था की उत्तर प्रदेश स्टेट कोऑर्डिनेटर नुज़हत मलिक ने आज तक को बताया कि, एएसईआर ने सर्वेक्षण के दौरान पाया कि लड़कों की अपेक्षा लड़कियां स्कूल अधिक जाती हैं. नुज़हत मलिक ने आगे जानकारी देते हुए आज तक को बताया कि प्रदेश के 2096 गांव में सर्वेक्षण किया गया, साथ ही हाउस होल्ड सर्वे भी किया गया जिसकी संख्या 41,910 है.
3 से 16 साल के बच्चों 91,158 सर्वे किया गया. उत्तर प्रदेश के 2028 सरकारी स्कूलों में नुज़हत मलिक ने सर्वेक्षण किया और इस दौरान पाया कि लड़कों की तुलना में लड़कियां स्कूल जाने के लिए ज्यादा जागरूक है और वह स्कूल जा भी रही हैं, चाहे वह शहरी क्षेत्र हो या फिर ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी स्कूलों हो.
10वीं-11वीं क्लास में भी लड़कियों की संख्या ज्यादा नुजहत ने बताया कि 10वीं क्लास के छात्रों की बात करें तो सरकारी स्कूलों में 60 फीसदी लड़के पढ़ाई करने के लिए जा रहे हैं तो वहीं लड़कियों की संख्या 67 फीसदी है. 11वीं क्लास की बात करें तो इसमें लड़के 51 फीसदी तो सर्वे में 55 फीसदी लड़कियां दर्ज की गईं.
आंगनबाड़ी जाने वाले बच्चों की संख्या भी बढ़ी एएसईआर संस्था की स्टेट कोऑर्डिनेटर नुजहत ने यह भी बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र में 3 वर्षीय जाने वाले बच्चों का ग्राफ 2018 में 19.2% था, जो 2022 में बढ़कर 35.6% हो गया. 4 साल के बच्चों की बात करें तो 2018 में 19.2% ही रहा लेकिन 2022 में बढ़कर 38.8% हो गया.
2018 में 5 वर्ष की आयु वाले बच्चे जो आंगनबाड़ी केंद्र में गए उनका प्रतिशत 11.1% रहा और 2022 में 23.6% रहा. मलिक की मानें तो लड़कियां अव्वल नंबर लाने के साथ-साथ, अब पढ़ाई में दिलचस्पी दिखा रही हैं और लड़कों की अपेक्षा वह सरकारी स्कूलों में चाहे वह ग्रामीण क्षेत्र हो या फिर शहर के क्षेत्र लड़कियां स्कूल ज्यादा जा रही हैं.

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