आंखों का डॉक्टर जो नहीं बनना चाहता था राष्ट्रपति, जिसकी ताजपोशी के लिए बदले गए नियम... बशर अल असद की कहानी
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दमिश्क की सड़क पर जहां जश्न-ए-आजादी का शोर है, उसी के बीच में खड़े होकर समय में पीछे की ओर झांक कर देखें तो तकरीबन 25 साल पहले का वो पूरा दौर सिलसिलेवार तरीके से आंखों के आगे घूम जाता है. साल था 2000, अपने पिता हाफ़िज़ अल-असद की मौत के बाद बशर के हाथ सत्ता की चाबी आई थी. उन्होंने इसे संभाला भी, लेकिन आज वह देश छोड़कर भाग गए हैं.
सीरिया के इतिहास में रविवार का दिन ऐतिहासिक साबित हुआ. 13 साल का संघर्ष रंग लाया, बशर अल-असद की तानाशाह सत्ता का खात्मा हुआ, बीते पांच दशकों से एक ही परिवार के केंद्र में रही सत्ता की परिपाटी बदल गई. यह दिन न केवल 13 वर्षों से चले आ रहे विनाशकारी युद्ध का अंत है, बल्कि बशर अल-असद के 24 वर्षों के सत्तावादी शासन का भी अंत माना जा रहा है. अब सत्ता पर विद्रोही ताकतों का कब्जा है और राजधानी दमिश्क की सड़कों पर हजारों लोग जश्न मनाने के लिए जुटे हैं. जो अब मान रहे हैं कि वे आजाद हैं.
कहानी बशर अल-असद की दमिश्क की सड़क पर जहां जश्न-ए-आजादी का शोर है, उसी के बीच में खड़े होकर समय में पीछे की ओर झांक कर देखें तो तकरीबन 25 साल पहले का वो पूरा दौर सिलसिलेवार तरीके से आंखों के आगे घूम जाता है. साल था 2000, अपने पिता हाफ़िज़ अल-असद की मौत के बाद बशर के हाथ सत्ता की चाबी आई थी. उन्होंने इसे संभाला भी, लेकिन आज वह देश छोड़कर भाग गए हैं. रिपोर्टों के अनुसार, उन्होंने किसी अनजान जगह पर शरण ली है. यह घटना उनके परिवार के 53 साल लंबे शासन का अंत है, जिसने दशकों तक सीरिया पर सख्ती से शासन किया.
कहने को तो असद शासन अब नहीं रहा, उसका खात्मा हुआ, लेकिन अब सीरिया का क्या? वह तो अब भी संघर्ष, विनाश और अनिश्चित भविष्य की चुनौतियों से जूझ रहा है. लाखों सीरियाई नागरिक, जिन्होंने युद्ध के दौरान अपने घर खोए, अब यह सोचने पर मजबूर हैं कि आगे क्या होगा.
बशर अल-असद को शुरुआत में एक नेता के रूप में देखा भी नहीं गया था. उन्होंने लंदन में बतौर आई सर्जन ट्रेनिंग ली थी, और पॉलिटिक्स जिससे उनका तबतक दूर-दूर से नाता नहीं था और न उन्होंने इस बारे में सोचा था, एक दिन यूं ही अचानक इस सत्ता की चाबी उनके हाथ में आ गिरी, जब उनके बड़े भाई बासिल की मौत हुई और अब असद के लिए राजनीति में आना जरूरी हो गया.
सत्ता किस कदर इस आंख के डॉक्टर को अपना बनाना चाहती थी इसकी एक बानगी देखिए, साल 2000 में जब उनके पिता हाफ़िज़ अल-असद की मौत हुई तब बशर अल-असद को सत्ता संभालने के लिए वापस बुलाया गया. जब उन्हें यह जिम्मेदारी दी जा रही थी, उस समय उनकी उम्र केवल 34 वर्ष थी. वह राष्ट्रपति बन सकें इसके लिए सीरियाई संसद ने न्यूनतम आयु सीमा 40 से घटाकर 34 कर दी. तब बशर ने राष्ट्रपति पद के चुनाव में 97% से अधिक वोट हासिल किए.
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