अरविंद केजरीवाल का चुनाव कैंपेन भी दिल्ली में सरकार चलाने जैसी चुनौतियां में फंसा | Opinion
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अरविंद केजरीवाल सत्ता में वापसी के लिए लगातार चुनावी वादे कर रहे हैं, लेकिन उनको आगे बढ़ाना लोहे के चने चबाने जैसा हो गया है. आम आदमी पार्टी नेता की मुश्किल ये है कि रोड़ा अटकाने में कांग्रेस नेता भी बीजेपी नेताओं से होड़ ले रहे हैं.
चुनावी वादों की फेहरिस्त में अरविंद केजरीवाल की तरफ से एक और घोषणा हुई है. नई योजना में हिंदुओं के साथ साथ अरविंद केजरीवाल के सिखों के भी वोट लेने की कोशिश लगती है - ये स्कीम है, पुजारी और ग्रंथी सम्मान योजना.
पुजारी और ग्रंथी सम्मान योजना के तहत दिल्ली के मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को हर महीने सम्मान राशि देने का वादा किया गया है. योजना के तहत हर महीने मंदिर के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को 18,000 रुपये दिये जाएंगे, बशर्ते आम आदमी पार्टी सत्ता में वापसी करने में सफल रहती है.
स्कीम की जानकारी देते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा, पुजारी हमारे सुख-दुख में काम आता है... शादी हो, बच्चे का बर्थडे हो, कोई भी खुशी का मौका हो, या फिर किसी की मौत हो जाये, वो हर वक्त हमारे साथ रहता है. लेकिन, दुर्भाग्य है कि आज तक किसी ने उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया... देश में ऐसा पहली बार हो रहा है.
अरविंद केजरीवाल के मुताबिक नई योजना के लिए 31 दिसंबर से रजिस्ट्रेशन शुरू होगा. और, महिला सम्मान योजना की ही तरह रजिस्ट्रेशन के लिए अरविंद केजरीवाल खुद लोगों के बीच जाएंगे.
बीजेपी को केजरीवाल की चेतावनी
महिला सम्मान और संजीवनी योजना को लेकर हुए बवाल के बीच दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी को आगाह किया है कि वो आम आदमी पार्टी की चुनावी योजनाओं में बाधा बनने से बाज आये - वरना पाप लगेगा.