
अरविंद केजरीवाल और प्रवेश वर्मा के बीच कांटे का मुकाबला, नई दिल्ली सीट पर किसका पलड़ा भारी?
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नई दिल्ली सीट के लिए बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच कांटे की लड़ाई हो रही है. तू डाल-डाल, मै पात-पात वाली स्टाइल में. केंद्र सरकार आठवें वेतन आयोग की बात करती है तो आप मिडिल क्लास के लिए 7 मांगें रख देती है. बीजेपी झुग्गी वालों के लिए मकान का वादा करती है तो केजरीवाल धोबी कल्याण बोर्ड के गठन का वादा करते हैं.
दिल्ली विधानसभा चुनावों में इस बार नई दिल्ली विधानसभा सीट हॉट केक बन गया है. पिछले तीन चुनाव यहां पर दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के लिए बहुत आसान थे. कारण था उनकी लोकप्रियता और उनके सामने किसी दमदार प्रत्याशी का न होना. पर इस बार नजारा कुछ और है. भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही ने आम आदमी पार्टी को हराने के लिए यहां से अपना सबसे ताकतवर उम्मीदवार उतारा है. बीजेपी से प्रवेश वर्मा जो पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह के बेटे हैं तो वहीं कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पुत्र संदीप दीक्षित कैंडिडेट हैं. जाहिर है कि अरविंद केजरीवाल के लिए इस बार मैदान साफ नहीं है. इसके साथ ही एंटी इंकंबेंसी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों के चलते सत्ताधारी पार्टी आप डिफेंसिव मोड में है. पर इसके बावजूद अरविंद केजरीवाल को कमजोर आंकना किसी भूल से कम नहीं होगा. पिछले तीनों चुनावों में उन्हें इस सीट पर 50 प्रतिशत से अधिक वोट मिले हैं. जाहिर है कि उन्हें हराना इतना आसान भी नहीं है. आइये देखते हैं कि फिलहाल आज की तारीख में नई दिल्ली सीट पर कौन पार्टी बढ़त बनाती दिख रही है.
1-केंद्रीय कर्मचारियों के लिए नया वेतनमान
साल 2024 के दिसंबर में संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था. केंद्र सरकार से सवाल पूछा गया कि क्या बजट से पहले आठवें वेतन आयोग की घोषणा हो सकती है? सरकार ने लिखित में जवाब दिया- नहीं. पर सरकार ने पिछले हफ्ते आठवें वेतन आयोग की घोषणा कर दी. जबकि दिल्ली चुनावों के चलते आचार संहिता लागू थी. दरअसल सारा खेल दिल्ली में रहने वाले केंद्रीय कर्माचारियों और पेंशन धारकों के वोट का है. पीटीआई के मुताबिक़, आठवें वेतन आयोग के दायरे में क़रीब 50 लाख केंद्रीय कर्मचारी और लगभग 65 लाख पेंशनधारक आएंगे. दिल्ली में दिल्ली नगर निगम, दिल्ली विकास प्राधिकरण, दिल्ली पुलिस और डिफेंस के साथ कई ऐसे विभाग हैं जो केंद्र सरकार के अंतर्गत आते हैं. 2011 के आंकड़ों के मुताबिक़- देश भर में केंद्र सरकार के कर्मचारियों की संख्या लगभग 31 लाख थी. इसमें लगभग दो लाख से ज़्यादा कर्मचारी अकेले दिल्ली में थे यानी लगभग सात फ़ीसदी. इस तरह इस वर्तमान में लगभग चार लाख के कर्मचारी दिल्ली में रहते होंगे. पेंशनधारकों की भी बहुत बड़ी तादाद है.
लोकसभा चुनावों में नई दिल्ली लोकसभा सीट पर बीजेपी की बांसुरी स्वराज चुनाव जीती थीं. लेकिन नई दिल्ली, दिल्ली कैंट और आरके पुरम जैसी विधानसभा सीटों पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी सोमनाथ भारती आगे थे. इन सीटों पर सरकारी कर्मचारी और पेंशनधारक बड़ी संख्या में रहते हैं.मतलब साफ है कि बीजेपी को लगता है कि नई दिल्ली सीट पर अगर केंद्रीय कर्मचारियों का वोट लेना ही लेना है. आठवें वेतन आयोग के गठन के चलते जाहिर है कि बीजेपी कुछ केंद्रीय कर्मियों के बीच कुछ बढ़त बनाने की उम्मीद कर सकती है.
2-आप का मिशन मिडिल क्लास
नई दिल्ली सीट पर 2020 में यहां 1,46,000 हज़ार मतदाता थे. अब ये संख्या 1,90,000 हज़ार के आसपास है. यहां अधिकतर सरकारी कार्यालय हैं. कुछ झुग्गी बस्तियों और कॉलोनियों को छोड़कर अधिकतर इलाक़ा पॉश है जहां रईस रहते हैं या अपर मिडिल क्लास और मिडिल क्लास की आबादी है . सांसदों के सरकारी आवास भी इसी सीट के इलाक़े में आते हैं. यहां केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों के सरकारी क्वार्टर बड़ी तादाद में हैं. जाहिर है कि अधिकतर आबादी मिडिल क्लास की ही है. बीजेपी नीत केंद्र सरकार ने इन कर्माचरियों को लुभाने के लिए आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा कर दी तो आम आदमी पार्टी को भी मिडिल क्लास याद आ गया . झुग्गी बस्तियों और गरीबों को फ्रीबीज के आधार पर पिछली बार सरकार बनाने वाले अरविंद केजरीवाल ने मिडिल क्लास के फायदे के लिए केंद्र सरकार से 7 डिमांड रख दिए. अरविंद केजरीवाल अब टैक्स टेरररिज्म की बात कर रहे हैं. केजरीवाल कहते हैं कि मिडिल क्लास को हमारे देश में सबसे ज्यादा परेशान किया जाता है. मिडिल क्लास वालों की 50 प्रतिशत से ज्यादा आमदनी टैक्स देने में चली जाती है.

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