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अयोध्या की हार का बदला पूरा! कौन हैं चंद्रभानु पासवान, जिन्होंने मिल्कीपुर में लहराया BJP का परचम?
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Milkipur By Election: अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर हुए उपचुनाव के लिए बीजेपी ने पुराने धुरंधरों के बजाय नए चेहरे चंद्रभानु पासवान पर दांव खेला. चंद्रभानु ने भी पार्टी को निराश नहीं किया और पूरे दमखम से चुनाव लड़ा. सीएम योगी समेत पार्टी के तमाम बड़े नेताओं का उन्हें सपोर्ट मिला. नतीजा यह हुआ कि चंद्रभानु मिल्कीपुर उपचुनाव में बड़ी जीत हासिल की है.
उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर उपचुनाव में बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की है. बीजेपी प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान 60 हजार से अधिक वोटों से विजयी हुए हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी के अजीत प्रसाद शुरू से पीछे ही रहे. इस बीच सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी हार स्वीकार कर ली. हालांकि, उन्होंने अयोध्या पुलिस-प्रशासन पर चुनाव में धांधली का आरोप लगाया. आइए जानते हैं कौन चंद्रभानु पासवान, जिन्होंने मिल्कीपुर में लहराया बीजेपी का परचम...
आपको बता दें कि अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर हुए उपचुनाव के लिए बीजेपी ने पुराने धुरंधरों के बजाय नए चेहरे चंद्रभान पासवान पर दांव खेला था. समाजवादी पार्टी पहले ही सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को यहां से प्रत्याशी घोषित कर चुकी थी. अवधेश प्रसाद की तरह चंद्रभानु पासवान पासी समाज से आते हैं. वह रुदौली के परसौली गांव के निवासी हैं.
पेशे से वकील चंद्रभानु पासवान अयोध्या के रुदौली से दो बार जिला पंचायत सदस्य रहे हैं. अभी उनकी पत्नी जिला पंचायत सदस्य हैं. चंद्रभानु बीजेपी की जिला इकाई में कार्य समिति के भी सदस्य हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में वह अनुसूचित जाति संपर्क प्रमुख रहे. वहीं, उनके पिता बाबा रामलखन दास ग्राम प्रधान हैं.
1986 में जन्मे चंद्रभानु पासवान का पूरा परिवार साड़ी के बिजनेस में सक्रिय हैं. वह सूरत के अलावा रुदौली में भी साड़ी का कारोबार करते हैं. चंद्रभान गत 2 वर्षों से मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर एक्टिव थे. इसीलिए मिल्कीपुर उपचुनाव में प्रमुख दावेदारों में भी शामिल थे. शैक्षिक योग्यता की बात करें तो चंद्रभानु बीकॉम, एमकॉम और एलएलबी हैं.
जानकारों की मानें तो मिल्कीपुर सीट के लिए बीजेपी के टिकट के करीब आधा दर्जन दावेदार थे, लेकिन उन सभी को पीछे छोड़ते हुए चंद्रभानु ने बाजी मारी. दावेदारों में दो पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा और रामू प्रियदर्शी भी शामिल थे. इनके अलावा उप-परिवहन आयुक्त सुरेंद्र कुमार को भी टिकट का प्रबल दावेदार माना जा रहा था. दावेदारों में इसी तरह के और भी कई बड़े चेहरे शामिल थे.
इस सीट पर सीएम योगी आदित्यनाथ समेत कई मंत्रियों ने जमकर चुनाव प्रचार किया था. वहीं, सपा ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी. अखिलेश यादव, डिंपल यादव समेत कई तमाम बड़े नेताओं ने अजीत प्रसाद के समर्थन में रैली और जनसभाएं की थीं. लेकिन अंत में जीत बीजेपी के खाते में गई. उनकी जीत लोकसभा चुनाव में फैजाबाद/अयोध्या सीट पर बीजेपी को मिली हार के बदले के तौर पर देखी जा रही है.
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