
अमेरिकी संसद में गर्भपात तक पहुंच के लिए विधेयक पास, SC ने खत्म किया था संवैधानिक अधिकार
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सुप्रीम कोर्ट के अबॉर्शन पर फैसले के बाद डेमोक्रेट चिंतित हो गए हैं. उनकी चिंता है कि समलैंगिक विवाह और गर्भनिरोधक जैसे अधिकारों को उन्होंने पहले तय किया था, उन पर खतरा हो सकता है. इसीलिए सदन में डेमोक्रेट ने कई बिल पारित किए हैं.
अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट ने अबॉर्शन को संवैधानिक अधिकार खत्म कर दिया, जिसके बाद इसको लेकर बहस जारी है. गुरुवार को अमेरिकी संसद ने गुरुवार को गर्भनिरोधक तक पहुंच की रक्षा के लिए एक विधेयक पारित किया. इस विधेयक के समर्थन में 229 और विरोध में 194 वोट पड़े. 211 रिपब्लिकन में से 8 ने इसका समर्थन किया.
बाइडेन ने ट्वीट कर डेमोक्रेट्स को दिया धन्यवाद
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सभी डेमोक्रेट्स को धन्यवाद दिया है. उन्होंने लिखा, "आज सदन ने गर्भनिरोधक तक पहुंच की रक्षा के लिए एक विधेयक पर मतदान किया. सभी डेमोक्रेट्स को धन्यवाद, यह विधेयक पारित हो गया. 194 हाउस रिपब्लिकन ने इसका विरोध किया. यह 2022 है. वे जन्म नियंत्रण तक पहुंच का विरोध कैसे कर रहे हैं?"
सुप्रीम कोर्ट के अबॉर्शन पर फैसले के बाद डेमोक्रेट चिंतित हो गए हैं. उनकी चिंता है कि समलैंगिक विवाह और गर्भनिरोधक जैसे जिन अधिकारों को उन्होंने पहले तय किया था, उन पर खतरा हो सकता है. इसीलिए सदन में डेमोक्रेट ने कई बिल पारित किए हैं, जो संघीय कानून के तहत उन अधिकारों की गारंटी देंगे. सदन ने बुधवार को दोनों दलों के समर्थन से समलैंगिक और अंतरजातीय विवाह की रक्षा के लिए एक विधेयक पारित किया. पिछले हफ्ते सदन ने राष्ट्रव्यापी गर्भपात अधिकारों को स्थापित करने और गर्भपात के लिए राज्यों के बीच यात्रा करने के अधिकार की रक्षा के लिए विधेयक पारित किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने 50 साल पुराने फैसले को पलटा
अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात का संवैधानिक अधिकार खत्म कर दिया है. ऐसा कर कोर्ट ने अपने ही पांच दशक पुराने उस ऐतिहासिक फैसले को बदल दिया है, जिसमें महिलाओं को गर्भपात करवाने का कानूनी दर्जा दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि संविधान गर्भपात का अधिकार नहीं देता है. हमारी तरफ से ‘रो वी वेड’ केस को खारिज कर दिया गया है. रो वी वेड फैसले को पलटने वाले सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस क्लेरेंस थॉमस ने अपनी राय में लिखा कि गर्भनिरोधक और समलैंगिक विवाह के अधिकार की गारंटी देने वाली अदालतों को फिर से विचार करना चाहिए.

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