![अमेरिका में 'हाई हील्स' पर क्यों गरमाई सियासत? दो भारतवंशी आपस में भिड़े](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202311/us_2_2-sixteen_nine.jpg)
अमेरिका में 'हाई हील्स' पर क्यों गरमाई सियासत? दो भारतवंशी आपस में भिड़े
AajTak
रिपब्लिकन पार्टी की थर्ड डिबेट में रामास्वामी ने चीनी ऐप टिकटॉक पर बैन लगाने के बारे में सवाल पूछने पर हेली पर निशाना साधा था. रामास्वामी ने कहा था कि निक्की की बेटी अभी भी टिकटॉक का इस्तेमाल करती है. इस पर निक्की भड़क गई और आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए विवेक को चेतावनी तक दे डाली. निक्की ने कहा कि विवेक उनके परिवार को इस डिबेट से दूर रखें.
अमेरिका में अगले साल राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं. ऐसे में रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों पार्टियों ने कमर कस ली है. राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर दोनों ही पार्टियों के भीतर घमासान मचा हुआ है. इस बीच रिपब्लिकन पार्टी की ओर से रेस के दो मजबूत दावेदारों में शामिल भारतवंशी निक्की हेली और विवेक रामास्वामी के बीच कांटे की टक्कर बताई जा रही है.
लेकिन रिपब्लिकन की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के लिए अब इन दोनों भारतवंशियों के बीच लड़ाई नाटकीय मोड़ ले चुकी है. रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए बुधवार को हुई तीसरी डिबेट के दौरान निक्की हेली और रामास्वामी के बीच जमकर नोंक-झोंक हुई.
क्या है मामला?
रिपब्लिकन पार्टी की थर्ड डिबेट में रामास्वामी ने चीनी ऐप टिकटॉक पर बैन लगाने के बारे में सवाल पूछने पर हेली पर निशाना साधा था. रामास्वामी ने कहा था कि निक्की की बेटी अभी भी टिकटॉक का इस्तेमाल करती है. इस पर निक्की भड़क गई और आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए विवेक को चेतावनी तक दे डाली. निक्की ने कहा कि विवेक उनके परिवार को इस डिबेट से दूर रखें.
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन पार्टी के पांच संभावित उम्मीदवारों के बीच कैलिफोर्निया में तीसरी डिबेट हुई. इस डिबेट का शीर्षक 'इजरयाल, यूक्रेन, चीन और पार्टी का भविष्य' था.
38 साल के रामास्वामी ने हेली का उल्लेख करते हुए कहा कि पिछली डिबेट में उन्होंने टिकटॉक ज्वॉइन करने को लेकर मेरा मजाक उड़ाया ता जबकि उनकी खुद की बेटी लंबे समय से टिकटॉक का इस्तेमाल करती है. तो आपको दूसरों पर आरोप लगाने से पहले खुद के परिवार को देखना चाहिए.
![](/newspic/picid-1269750-20250214181736.jpg)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात ने दोनों नेताओं के बीच गहरी मित्रता को दर्शाया. ट्रंप ने मोदी को 'आई मिस यू' कहकर स्वागत किया, जबकि मोदी ने दोनों देशों के संबंधों को '1+1=111' बताया. दोनों नेताओं ने व्यापार, सुरक्षा और द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की. ट्रंप ने मोदी को 'महान नेता' और 'खास व्यक्ति' बताया. मोदी ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा. दोनों नेताओं ने यूक्रेन युद्ध पर भी चर्चा की और शांति की आवश्यकता पर जोर दिया.
![](/newspic/picid-1269750-20250214171223.jpg)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात में दोस्ती और व्यापार पर चर्चा हुई. दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की तारीफ की, लेकिन व्यापार मुद्दों पर तनाव बरकरार रहा. ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की, जो भारत के लिए चुनौती हो सकती है. मुलाकात में एफ-35 फाइटर जेट्स और तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण पर भी चर्चा हुई.
![](/newspic/picid-1269750-20250214141339.jpg)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग पर गहन चर्चा की गई. इस चर्चा में अमेरिका ने भारत को F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट्स, स्ट्राइकर कॉम्बैट व्हीकल्स और जावलिन मिसाइल्स की पेशकश की. विशेषज्ञों का विचार है कि ये हथियार भारत की आत्मनिर्भरता नीति के सटीक अनुरूप नहीं हैं.
![](/newspic/picid-1269750-20250214112147.jpg)
रूस-यूक्रेन जंग को खत्म करने का ब्लू प्रिंट अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लगभग तैयार कर लिया है. इससे पहले ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन और यू्क्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से फोन पर बातचीत की. ट्रंप चाहते हैं कि नाटो में शामिल होने की जिद्द यूक्रेन छोड़ दे लेकिन जेलेंस्की ने अपने देश की सुरक्षा का हवाला दिया है.
![](/newspic/picid-1269750-20250214095639.jpg)
PM नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच हुई मुलाकात में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई. आतंकवाद से निपटने में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बन गई, जिसमें ठाकुर हसन राणा के प्रत्यर्पण का विषय भी शामिल था. फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में भारत-अमेरिका के सहयोग पर भी वार्ता हुई, जहाँ अमेरिकी बाजार में भारतीय जेनेरिक दवाओं की भारी मांग है.