अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने उठाया यह कदम, भारत के लिए बढ़ीं मुश्किलें
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अमेरिकी और यूरोपीय देशों ने रूसी मूल के कच्चे और प्रोसेस्ड (कटिंग और पॉलिशिंग) हीरों के आयात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है. इस फैसले से भारत के व्यापारी इसलिए चिंतित हैं क्योंकि दुनिया के लगभग 90 प्रतिशत हीरों की कटिंग और पॉलिशिंग भारत में होती है. भारत ज्यादातर हीरे रूस और दक्षिण अफ्रीकी खदानों से आयात करता है.
रूसी अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के मकसद से अमेरिका और यूरोपीय यूनियन की ओर से रूसी कच्चे हीरों पर लगाए गए प्रतिबंध का असर भारत पर भी दिखने लगा है. रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी और यूरोपीय देशों ने भारतीय हीरा व्यापारियों से यह पूछना शुरू कर दिया है कि उनके देश में निर्यात किया जा रहा हीरा कहां का है. ऐसे में भारतीय हीरा निर्यातकों को व्यापार में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है जिससे बाजार और निर्यात पर भी असर पड़ रहा है.
दरअसल, अमेरिकी और यूरोपीय देशों ने रूसी मूल के कच्चे और प्रोसेस्ड (कटिंग और पॉलिशिंग) हीरों के सीधे आयात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है. इसके तहत हीरे को खनन के समय से लेकर सप्लाई चेन और ग्राहक तक ट्रैक किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हीरा रूस का नहीं है. हालांकि, यह प्रतिबंध एक कैरेट या इससे बड़े रूसी हीरों पर लगाया गया है.
अंग्रेजी अखबार 'इकोनॉमिक टाइम्स' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय हीरा निर्यातक दुविधा में हैं क्योंकि अमेरिका और यूरोप के आयातक हीरों के स्रोत की घोषणा की मांग कर रहे हैं. यहां तक कि छोटे हीरों के निर्यात पर भी इसकी जानकारी मांगी जा रही है कि यह हीरा मूल रूप से किस देश का है, जबकि फिलहाल छोटे हीरों पर इस तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया है.
भ्रम की स्थिति से बाजार पर भी हो रहा है असर
भारतीय हीरा व्यापारियों का कहना है कि जी-7 देशों के कई आयातकों ने स्रोतों की पुष्टि किए बिना पॉलिश किए गए हीरे को खरीदने से इनकार कर दिया है. जेम एंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के अध्यक्ष विपुल शाह का कहना है कि भले ही एक कैरेट और उससे अधिक कटे और पॉलिश किए गए हीरों के लिए स्रोतों की जानकारी देने की आवश्यकता होती है. लेकिन आयातक उससे छोटे हीरों के निर्यात के लिए भी इसकी मांग कर रहे हैं. इससे बाजार में बहुत भ्रम पैदा हो रहा है और भारत से कटे और पॉलिश किए गए हीरों के निर्यात पर असर पड़ रहा है.
नाम ना बताने की शर्त पर एक वरिष्ठ हीरा निर्यातक ने कहा कि अमेरिकी बैंक हीरा आयातकों से अधिक से अधिक जानकारी मांग रहे हैं जिससे भारतीय निर्यातकों को भुगतान करने में देरी हो रही है.
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