अब दोस्त रूस के द्वीप पर भी चीन की नजर, जानें- किस कोर्ट में सुलझाए जाते हैं देशों के सीमा विवाद
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चीन का नया नक्शा तूफान खड़ा किए हुए है. भारत ने तो इसपर एतराज जताया ही, रूस ने भी चीनी मैप पर नाराजगी दिखा दी. असल में सीमाओं पर दावा करने के शौकीन चीन ने एक रूसी द्वीप को नक्शे में अपना बता दिया. यहां सवाल ये है कि क्या कई देशों के गुस्से का उसपर कोई असर होगा. क्या ऐसे मामले इंटरनेशनल कोर्ट तक जा पाते हैं?
अगस्त में चीन ने अपना नया आधिकारिक मैप जारी किया. तब से बवाल मचा हुआ है. नक्शे में भारत के अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन उसके देश में शामिल दिख रहे हैं. भारतीय हिस्सों के अलावा उसने ताइवान और विवादित दक्षिण चीन सागर को भी अपने में शामिल कर लिया. तब से चीन के विस्तारवादी मंसूबों पर भारत समेत कई देश भड़के हुए हैं.
किन देशों ने दर्ज किया एतराज
अब तक फिलीपींस, मलेशिया, ताइवान, नेपाल और वियतनाम चीन के नक्शे पर ऑब्जेक्शन रख चुके. मलेशिया ने तो सीधे डिप्लोमेटिक प्रोटेस्ट ही जाहिर कर दिया. वहीं चीन का कहना है कि उसने ऐतिहासिक नक्शों के आधार पर नया मैप निकाला. इससे पहले चीन ने जितनी भी बार यूनाइटेड नेशन्स में अपना नक्शा जमा किया, सबमें उसने सीमाओं को सिकोड़कर दिखाया था.
यहां तक तो फिर भी समझ आता है, लेकिन पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना ने रूस को भी नहीं छोड़ा. नए मैप में बोल्शोई उस्सुरीस्की नाम का द्वीप भी चीन में दिखता है, जबकि रूस का कहना है कि ये उसका आइलैंड है.
रूस के खाबरोवस्क शहर के करीब इस द्वीप पर दोनों देशों में तनाव रह चुका है. साठ के शुरुआती दशक की बात है, जब रूस (तब सोवियत संघ) और चीन के बीच रिश्ते गड़बड़ाने लगे थे. यहां तक कि मार्च की शुरुआत 1969 में चीन ने रूस पर हमला भी बोल दिया था.सालों बाद पहुंच सके थे एग्रीमेंट पर चार दशकों के विवाद के बाद साल 2005 में इसे लेकर समझौता हुआ. इसके तहत चीन को द्वीप के 350 वर्ग किलोमीटर में से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर का दायरा मिला था, जबकि बाकी हिस्सा रूस का हो गया. कुछ समय के भीतर दोनों के हिस्सों का जमीनी बंटवारा भी हो गया. अब दिक्कत ये है कि चीन इस रूसी हिस्से को भी अपना बता रहा है. ये सब उस समय हो रहा है, जब रूस से तो दुनिया बिदकी हुई है ही, चीन भी अपनी सीमा-फैलाओ रणनीति के कारण निशाने पर है.
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