
अफगानिस्तान तो नहीं बन जाएगा PAK... जानें क्या है तहरीक-ए-तालिबान और पाकिस्तान सरकार की लड़ाई?
AajTak
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी टीटीपी और पाकिस्तान सरकार में फिर से ठन गई है. कुछ महीनों से टीटीपी ने पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ जंग सी छेड़ दी है. सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े लोगों की हत्याएं की जा रहीं हैं. ऐसे में जानना जरूरी है कि टीटीपी और पाकिस्तानी सरकार में लड़ाई किस बात की है और क्या अफगानिस्तान की तरह ही पाकिस्तान में भी तालिबान सत्ता में आ सकता है?
'अगर अपने घर के बैकयार्ड में सांप को पाल रहे हैं तो आप उनसे ये उम्मीद नहीं रख सकते कि वो सिर्फ आपके पड़ोसियों को काटेंगे. आखिरकार, वो सांप उन्हें भी काटेंगे जो उन्हें पालकर रख रहे हैं.'
ये बात 12 साल पहले हिलेरी क्लिंटन ने कही थी. इसके जरिए वो पाकिस्तान को चेता रही थीं. उनके कहने का मतलब था कि पाकिस्तान अपने मुल्क में आतंकवादियों को पनाह दे रहा है, जिसका खामियाजा उसे भी भुगतना पड़ सकता है.
हिलेरी क्लिंटन की ये बात अब सच भी साबित हो रही है. तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी टीटीपी अब पाकिस्तानी सरकार के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है. टीटीपी के आतंकी पाकिस्तान में आतंकी हमले कर रहे हैं. सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े अफसरों की सरेआम हत्या कर रहे हैं. सत्ता में बैठे लोगों को धमका रहे हैं.
टीटीपी क्या है? पाकिस्तान के लिए सिरदर्द क्यों बनता जा रहा है? और क्या अफगानिस्तान की तरह ही पाकिस्तान की सत्ता पर भी तालिबान काबिज हो सकता है? समझते हैं...
क्या है तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान?
2007 में कई सारे आतंकी गुट एकसाथ आए और इनसे मिलकर बना तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान. टीटीपी को पाकिस्तान तालिबान भी कहते हैं. इसका मकसद पाकिस्तान में इस्लामी शासन लाना है. अगस्त 2008 में पाकिस्तानी सरकार ने टीटीपी को बैन कर दिया था.

पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान पर जबरन कब्जे के बाद से बलूच लोग आंदोलन कर रहे हैं. पाकिस्तानी सेना ने पांच बड़े सैन्य अभियान चलाए, लेकिन बलूच लोगों का हौसला नहीं टूटा. बलूच नेता का कहना है कि यह दो देशों का मामला है, पाकिस्तान का आंतरिक मुद्दा नहीं. महिलाओं और युवाओं पर पाकिस्तानी सेना के अत्याचार से आजादी की मांग तेज हुई है. देखें.