अफगानिस्तान के वो अहम चेहरे, जिनके दम पर खेली जा रही है शह और मात की पूरी बाज़ी
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एक तरफ पंजशीर के शेर का बेटा अहमद मसूद, पुराने वॉर लॉर्ड अब्दुल रशीद दोस्तम, पूर्व उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह और मिलशिया नेता अता मोहम्मद नूर हैं. और दूसरी तरफ आतंकी संगठन तालिबान, पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई, राष्ट्रपति अशरफ गनी के भाई हशमत गनी अहमदज़ई और तालिबान का नया दोस्त पूर्व गवर्नर गुल आग़ा शेरजई है.
देश का राष्ट्रपति भले ही देश छोड़कर भाग चुका हो. देश की सेना भले ही बिना लड़े हथियार डाल चुकी हो. बेशक तालिबान देश की राजधानी काबुल पर कब्जा जमा चुका हो. लेकिन तालिबान फिर भी अफगानिस्तान को पूरी तरह से जीत नहीं पाया है. नॉर्दन अलाइंस और तालिबान के बीच पंजशीर में अभी भी जबरदस्त लड़ाई जारी है. खबर ये है कि वहां 300 तालिबान लड़ाकों को मार गिराया गया है या बंधक बना लिया गया है. पंजशीर के नेताओं का कहना है कि वो तालिबान के सामने हथियार नहीं डालेंगे और ये जंग जारी रहेगी.मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
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