अडानी मामले में घिरने के बाद अब LIC का प्लान, निवेश के लिए बनाया नया रास्ता!
AajTak
अडानी ग्रुप की कंपनियों में निवेश को लेकर LIC को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. इस वजह से अब बीमा कंपनी ने बड़ा कदम उठा सकती है. अडानी ग्रुप की कई कंपनियों में LIC का भारी भरकम निवेश है.
देश की सबसे बड़ी सरकारी बीमा कंपनी लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (LIC) अपने कर्ज और कंपनियों के इक्विटी एक्सपोजर पर कैप लगाने की योजना बना रही है. कहा जा रहा है कि अडानी समूह (Adani Group) की कंपनियों में अपने निवेश को लेकर आलोचना का सामना करने के बाद जोखिम को कम करने के लिए बीमा कंपनी ये कदम उठाने जा रही है. न्यूज एजेंसी ने अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा कि LIC निजी कपंनियों, ग्रुप कंपनियों और अन्य में अपने कर्ज और इक्विटी एक्सपोजर पर कैप लगाने की योजना बना रही है.
जोखिम को कम करने की कोशिश
LIC के पास लगभग 539 अरब डॉलर की प्रबंधनाधीन संपत्ति है. अडानी ग्रुप में इस सरकारी बीमा कंपनी का चार अरब डॉलर से अधिक का एक्सपोजर था. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में आई गिरावट की वजह से LIC भी अपने निवेश को लेकर विपक्षी दलों के निशाने पर आ गई थी. रॉयटर्स ने सूत्र के हवाले से बताया कि बीमाकर्ता अपने निवेश पर 'सीमा शर्तें' रखना चाहता है, जो निवेश के जोखिम को कम करेगा.
बीमाकर्ता किसी कंपनी में बकाया इक्विटी का 10 प्रतिशत से अधिक और बकाया कर्ज का 10 प्रतिशत अधिक निवेश नहीं कर सकता है. अब अगर एलआईसी बोर्ड कैप को मंजूरी दे देता है, तो LIC का एक्सपोजर और सीमित हो जाएगा. रिपोर्ट की मानें तो एलआईसी अपने निवेश पर बाउंड्री कंडीशंस को देख देख रही है, ताकि उसके रिस्क को कम कर सके.
अडानी ग्रुप की कंपनियों में LIC की हिस्सेदारी
LIC ने अडानी ग्रुप की कंपनियों में निवेश किया है. इसकी वजह से उसे आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. अडानी पोर्ट्स में LIC की हिस्सेदारी 9.14 प्रतिशत थी, जबकि अडानी टोटल गैस में 5.96 प्रतिशत, अडानी एंटरप्राइजेज में 4.23 प्रतिशत, अडानी ट्रांसमिशन में 3.65 प्रतिशत और अडानी ग्रीन एनर्जी में 1.28 प्रतिशत हिस्सेदारी थी.
स्वास्थ्य बीमा पर 18% जीएसटी से मध्यम वर्ग परेशान है. सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की कमी के कारण लोग निजी अस्पतालों का रुख करते हैं. महंगे इलाज से बचने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं, लेकिन प्रीमियम पर भारी टैक्स लगता है. जीएसटी काउंसिल की बैठक में राहत की उम्मीद थी, पर कोई फैसला नहीं हुआ. देखें...