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Trump की वापसी क्या दुनिया में जंग रुकवा देगी? पहले भी करा चुके हैं कई कट्टर दुश्मनों में दोस्ती
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जनवरी 2025 में डोनाल्ड ट्रंप वाइट हाउस लौट रहे हैं. इसके साथ ही कयास तेज हो चुके कि ट्रंप की वापसी कई देशों में जंग रुकवा सकती है. फिलहाल मिडिल ईस्ट से लेकर रूस-यूक्रेन में लड़ाई जारी है, वहीं नॉर्थ कोरिया भी अपने पड़ोसी देश पर आक्रामक है. उम्मीद की जा रही है कि ट्रंप का आना शांति का नया दौर ला सकता है.
डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति चुने जा चुके. अगले दो महीनों के भीतर वे पद की शपथ लेंगे. इससे पहले से ही युद्धरत देशों में हलचल शुरू हो चुकी. माना जा रहा है कि ट्रंप का आना लड़ाई रुकवा सकता है. ये अंदाजा हवाहवाई नहीं, बल्कि पिछले कार्यकाल में ट्रंप कई ऐसे देशों को हाथ मिलाने पर विवश कर चुके जो आपस में कट्टर दुश्मन थे.
मॉस्को और कीव के मामले में क्या हो सकता है
सबसे पहले बात करते हैं, रूस और यूक्रेन युद्ध की, जो तीन सालों से चला आ रहा है. चुनावी कैंपेन के दौरान भी ट्रंप ने लड़ाई का जिक्र करते हुए इसे रुकवाने की बात की थी. ऐसा काफी हद तक संभव है. और अगर युद्ध न रुके तो भी ट्रंप के कहने पर मॉस्को और कीव दोनों के बीच सीजफायर तो हो ही सकता है.
बहुत मुमकिन है कि दोनों देशों के बीच समझौता हो जाए, जिसमें साल 2014 के युद्ध में कब्जे वाले क्रीमिया का हक रूस को मिल जाए, और साल 2022 के बाद से रूस ने जो भी हथियाया है, वो यूक्रेन को लौटा दिया जाए.
दोनों देश क्यों मानेंगे ट्रंप की बात बाकी अमेरिकी राष्ट्रपतियों से अलग ट्रंप के रूस के लीडर व्लादिमीर पुतिन से काफी अच्छे संबंध रहे. खुद अमेरिकी लीडर ने पुतिन से शानदार व्यक्तिगत संबंधों का जिक्र कई बार किया. संभव है कि ट्रंप की वापसी से रूस पर लगे कई प्रतिबंध हट जाएं. दोनों तरह के फायदों को देखते हुए मॉस्को ट्रंप की बात मान सकता है. यही हाल यूक्रेन का है. तीन सालों में रूस जैसे बड़े देश से जंग के लिए उसे काफी सारी मदद अमेरिका से मिली. अब सत्ता बदल चुकी है. हो सकता है कि ट्रंप सहायता से सीधे इनकार न करते हुए हाथ कस लें. इससे पहले से कमजोर पड़ा कीव और मुसीबत में आ सकता है.
एक और वजह भी है यूक्रेन कुछ समय से खुद को नाटो में शामिल किए जाने की सिफारिश कर रहा है. वहीं रूस इसके खिलाफ रहा. ट्रंप के पास इतनी ताकत है कि वे इस मामले को भी किसी नतीजे तक ले जा सकते हैं. यहां याद दिला दें कि अमेरिका नाटो का सबसे बड़ा फंडर रहा और ट्रंप कई बार धमका चुके कि वे नाटो से हाथ खींच लेंगे. ये ऐसी धमकी है जो पूरे वेस्ट में हलचल पैदा कर सकती है.
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