TMC की सीटें बढ़ीं, लेकिन ढीली पड़ी पकड़... पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव नतीजों में किस दल के लिए क्या है?
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पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव नतीजों में टीएमसी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है. 2018 चुनाव की तुलना में टीएमसी को ग्राम पंचायत की अधिक सीटें मिली हैं लेकिन पार्टी के लिए ये नतीजे टेंशन बढ़ाने वाले कैसे हैं?
हिंसा के शोर के बीच पश्चिम बंगाल में हुए पंचायत चुनाव के नतीजे आ रहे हैं. अब तक घोषित चुनाव नतीजों में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सबसे आगे है. पिछले चुनाव की तुलना में टीएमसी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) दूसरे नंबर पर है. कांग्रेस और लेफ्ट के लिए भी नतीजे उत्साहजनक रहे हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अहम माने जा रहे पंचायत चुनाव नतीजों में किस पार्टी के लिए क्या संदेश है?
पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव नतीजों में टीएमसी खबर लिखे जाने तक 63229 ग्राम पंचायतों में से 38419 जगह जीत हासिल कर चुकी है. पार्टी के उम्मीदवार 567 ग्राम पंचायतों में आगे चल रहे हैं. टीएमसी कुल मिलाकर करीब 39 हजार पंचायतों में 'गांव की सरकार' बनाती नजर आ रही है. पिछले चुनाव में टीएमसी को 38118 सीटों पर जीत मिली थी. आंकड़े देखें तो टीएमसी 2018 से अधिक सीटें जीतने में जरूर सफल रही है लेकिन दूसरा पहलू ये भी है कि पार्टी की पकड़ कमजोर पड़ी हैं.
नंदीग्राम में भी TMC का अच्छा प्रदर्शन
पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में पिछले चुनाव में ग्राम पंचायत समिति की कुल संख्या 48649 ही थी और इस बार 63229. ऐसे में जब सीटों की संख्या में 14 हजार से अधिक का इजाफा हुआ, टीएमसी की सीटें महज एक हजार ही बढ़ीं. जिस अनुपात में कुल सीटों की संख्या बढ़ी है, उस अनुपात में टीएमसी की सीटें नहीं बढ़ पाई हैं.
इसी तरह पंचायत समिति के पिछले चुनाव में कुल 9217 में से 8062 सीटों पर टीएमसी को जीत मिली थी. अबकी 9730 सीटों पर चुनाव हुए और टीएमसी 6523 सीटें ही जीत सकी है. 220 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार आगे चल रहे हैं. ममता बनर्जी की पार्टी को पिछली बार की तुलना में 1300 से अधिक सीटों का नुकसान होता नजर आ रहा है. जिला परिषद चुनाव में टीएमसी कुल 928 में से 820 से अधिक सीटें जीतती नजर आ रही है.
वरिष्ठ पत्रकार जयंतो घोषाल कहते हैं कि टीएमसी का वोट शेयर करीब-करीब स्थिर है. पार्टी ने 2013 और 2018 के बाद 2023 में भी अपना वोट शेयर बरकरार रखते हुए पंचायत चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाई है. सीटें उस अनुपात में नहीं बढ़ी हैं जैसा टीएमसी उम्मीद कर रही थी. एंटी इनकंबेंसी झलक रही है. हालांकि, टीएमसी ने शुभेंदु अधिकारी के इलाके को छोड़ दें तो नंदीग्राम जिले में भी अच्छा प्रदर्शन किया है. उत्तर बंगाल में भी जहां मतुआ वोट निर्णायक है, वहां भी पार्टी का प्रदर्शन अच्छा रहा है, शांतनु ठाकुर के इलाके में भी. हर चुनाव अलग-अलग मुद्दों पर लड़े जाते हैं. टीएमसी का असली टेस्ट 2026 में होगा.
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