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महाराष्ट्र के नतीजों का देश की राजनीति पर पड़ेगा असर, 6 पॉइंट्स में समझें
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महाराष्ट्र में भाजपा ने 149 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें से 132 सीटों पर विजय पताका फहराया है. बीजेपी की ये जीत बहुत बड़ी है, इसका असर आगे भी दिखेगा, ऐसा इसलिए, क्योंकि महाराष्ट्र एक प्रयोगशाला बन गया है और विधानसभा चुनाव के नतीजे राष्ट्रीय राजनीति को कई तरह से प्रभावित करने वाले हैं.
महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर ली है, जबकि कांग्रेस की महा विकास अघाड़ी (एमवीए) का सफाया हो गया है. महायुति ने 288 विधानसभा सीटों वाले राज्य में 233 सीटें जीत ली हैं. जबकि एमवीए सिर्फ़ 49 सीटों पर सिमट गया है. भाजपा ने 149 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें से 132 सीटों पर विजय पताका फहराया है. बीजेपी की ये जीत बहुत बड़ी है, इसका असर आगे भी दिखेगा, ऐसा इसलिए, क्योंकि महाराष्ट्र एक प्रयोगशाला बन गया है और विधानसभा चुनाव के नतीजे राष्ट्रीय राजनीति को कई तरह से प्रभावित करने वाले हैं.
आइए महाराष्ट्र की प्रयोगशाला से निकले 6 बड़े नतीजों पर एक नज़र डालते हैं... यहां की लड़ाई 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद सबसे बड़ी थी और भाजपा की हरियाणा में जीत के तुरंत बाद हुई थी.
1. वक्फ बिल समेत अन्य विधेयकों का भाग्य होगा तय
लोकसभा चुनाव में भाजपा ने तीसरी बार सत्ता में वापसी की, भले ही सीटों के नंबर कम रहे, लेकिन भाजपा एनडीए सहयोगियों की मदद से सरकार चला रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने सुधार के मोर्चे पर किसी भी तरह की कमजोरी नहीं दिखाई है और आयुष्मान भारत चिकित्सा बीमा कवर को बढ़ाया है, संयुक्त पेंशन योजना शुरू की है, हालांकि, लेटरल एंट्री स्कीम और ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज (रेगुलेशन) बिल के मामले में कुछ नरमी भी बरती गई. सरकार ने साहसिक वक्फ बिल भी पेश किया, जिसका मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध किया. वक्फ बिल को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया, जो अब अपनी रिपोर्ट के साथ तैयार है.
हरियाणा में ऐतिहासिक जीत के तुरंत बाद महाराष्ट्र में भाजपा के शानदार प्रदर्शन से केंद्र सरकार का आत्मविश्वास बढ़ेगा. मोदी सरकार अब वक्फ विधेयक पर पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ेगी, जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के तरीके में सुधार करना है. इससे समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को आगे बढ़ाने में भी मदद मिल सकती है, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता के रूप में फिर से ब्रांड किया है. वक्फ विधेयक पर जेपीसी की रिपोर्ट पर बहस शीतकालीन सत्र में ही हो सकती है.
2. 'एक हैं तो सेफ हैं' नारे के साथ हिंदू एकजुटता पर फोकस
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आम आदमी पार्टी हाल में संपन्न दिल्ली विधानसभा चुनाव में 62 सीटों से नीचे गिरकर 22 सीटों पर आ गई. पार्टी के बड़े-बड़े धुरंधर जिनमें अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सौरभ भारद्वाज, सत्येंद्र जैन, सोमनाथ भारती शामिल हैं, चुनाव हार गए. लेकिन कालकाजी में काफी कड़े मुकाबले में आतिशी ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी को हराने में सफलता पाई.