School Fees Hike: दिल्ली HC ने डीपीएस स्कूल को 50% फीस कम करने का निर्देश दिया, शिक्षा निदेशालय से मांगा जवाब
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School Fees Hike: दिल्ली हाईकोर्ट की जज स्वर्ण कांता शर्मा ने निर्देश दिया कि मामले के लंबित रहने तक पेरेंट्स 2024-25 शैक्षणिक वर्ष के लिए बढ़ी हुई फीस का 50 प्रतिशत जमा करें. इस मामले में स्कूल और शिक्षा निदेशालय दोनों को दो सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है.
School Fees Hike: दिल्ली के एक प्राइवेट स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ा रहे पेरेंट्स को दिल्ली होईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने स्कूल को उन सभी बच्चों के नाम फिर से जोड़ने के लिए कहा है, जिनके नाम बढ़ी हुई फीस न देने की वजह से काट दिए गए थे. साथ ही स्कूल को बढ़ी फीस के केवल 50 प्रतिशत ही लेने को कहा है.
दरअसल, दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS), द्वारका ने हाल ही में छात्रों की फीस बढ़ाई थी. जब कुछ पेरेंट्स बढ़ी हुई फीस जमा नहीं कर पाए तो 26 बच्चों के नाम काट दिए गए. स्कूल से बच्चों के नाम कटने के बाद पेरेंट्स ने इसका विरोध किया. शिक्षा अधिकारियों के अलग-अलग दफ्तर पर शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया. इसके बावजूद कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई.
93 हजार से 1.70 लाख हुई स्कूल फीस
दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम से मिली जानकारी के अनुसार, जिन बच्चों के नाम काटे गए हैं, वे अलग-अलग कक्षा में पढ़ते हैं. उनके नाम स्कूल ने काट दिए हैं. इस बात की जानकारी मिलते ही उनके पेरेंट्स ने हाथों में तख्तियां लेकर स्कूल के बाहर प्रोटेस्ट भी किया था और अपने बच्चों के दोबारा एडमिशन की मांग की थी. अपराजिता ने आगे कहा था कि, अब तक इस स्कूल में सालाना फीस 93 हजार होती थी उसे बढ़ाकर स्कूल ने 1,70,000 रुपये कर दिया है. यह 100 फीसदी बढ़ोतरी पूरी तरह से अवैध है और शिक्षा विभाग इसमें पूरी तरह से मिला हुआ है. यही वजह है कि स्कूल मैनेजमेंट को किसी का कोई डर नहीं है. तब पेरेंट्स ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
कोर्ट ने शिक्षा निदेशायल और स्कूल से मांगा जवाब
दिल्ली हाईकोर्ट की जज स्वर्ण कांता शर्मा ने निर्देश दिया कि मामले के लंबित रहने तक पेरेंट्स 2024-25 शैक्षणिक वर्ष के लिए बढ़ी हुई फीस का 50 प्रतिशत जमा करें. कोर्ट ने अभिभावकों की एक याचिका पर जवाब दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि शिक्षा निदेशालय (डीओई) द्वारा फीस वृद्धि को मंजूरी नहीं दी गई थी. जारी किए गए नोटिस में स्कूल और डीओई दोनों को दो सप्ताह के भीतर जवाब देने के लिए कहा गया है.
अभिभावकों ने झिझकते हुए हमें बताया कि “हमने कई बार शिक्षकों के सामने इस मुद्दे को उठाया है, यहां तक कि सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल से भी इस मुद्दे को उठाया है, लेकिन आश्वासन के अलावा हमें कुछ नहीं मिला है. मेरे बच्चों को कुछ ही दिनों में अपनी परीक्षा देनी है. हमने अपने रिश्तेदारों से पाठ्यपुस्तकें उधार ली हैं ताकि परीक्षा बिना किसी बाधा के हो सके.
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