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PAK: पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा में अप्रैल में चुनाव संभव, क्या फेल हुआ इमरान का सियासी दांव?
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पाकिस्तान की राजनीति में इमरान खान को सिर्फ झटके पर झटका लग रहा है. सत्ता गंवाने के बाद जल्द चुनाव करवाने पर अड़े इमरान खान को चुनाव आयोग से निराशा हाथ लगी है. चुनाव आयोग ने पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा में अप्रैल में चुनाव करवाने का प्रस्ताव दे दिया है. इन दोनों ही प्रांतों में इमरान की पार्टी ने विधानसभा को भंग कर दिया था.
पाकिस्तान चुनाव आयोग ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को बड़ा सियासी झटका दिया है. कहा गया है कि अप्रैल महीने में पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में चुनाव करवाए जा सकते हैं. अब इमरान खान के लिए ये झटका इसलिए है क्योंकि उन्होंने बड़ी ही सोची-समझी रणनीति के तहत इसी महीने इन दोनों ही प्रांतों में विधानसभा को भंग कर दिया था. उनकी तरफ से मांग रखी गई थी कि देश में जल्द से जल्द चुनाव करवाए जाएं. लेकिन उनके उस दांव से शहबाज सरकार तो नहीं झुकी, लेकिन चुनाव आयोग के प्रस्ताव ने उनकी रणनीति की हवा जरूर निकाल दी.
क्या है पूरा विवाद?
जानकारी के लिए बता दें कि दोनों पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में इमरान खान की पार्टी की सरकार थी. लेकिन एक रणनीति के तहत पंजाब प्रांत में 14 जनवरी को विधानसभा भंग करवा दी गई तो वहीं खैबर पख्तूनख्वा में 18 जनवरी को विधानसभा भंग हुई. दोनों ही प्रांतों में कार्यवाहक मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिए गए थे. लेकिन पाकिस्तान का संविधान साफ कहता है कि विधानसभा के भंग होने के 90 दिनों के भीतर में चुनाव करवाना जरूरी है. अब उसी नियम का पालन करते हुए चुनाव आयोग ने 9 से 13 अप्रैल के बीच पंजाब प्रांत में चुनाव करवाने की बात कही है तो वहीं खैबर पख्तूनख्वा में 15 से 17 अप्रैल को चुनाव करवाने का प्रस्ताव रखा गया.
इमरान के लिए डबल झटका
अब चुनाव आयोग की तरफ से ये बात उस समय कही गई है जब शहबाज सरकार साफ कर चुकी है कि वो तय समय पर ही पाकिस्तान में चुनाव करवाने वाली है. अगस्त से पहले वो चुनाव करवाने के मूड में नहीं है. ऐसे में इमरान खान के लिए ये डबल झटका साबित हो रहा है. उनकी तरफ से जो सड़क पर विरोध प्रदर्शन निकाला जा रहा है, जिस तरह से हर मंच से वे जल्द चुनाव करवाने की बात कर रहे हैं, उस बीच चुनाव आयोग का फैसला उनकी मेहनत पर पानी फेरता है. वैसे चुनाव आयोग द्वारा सिर्फ एक प्रस्ताव दिया गया है, चुनाव की तारीखों का ऐलान दोनों प्रांतों के राज्यपाल द्वारा किया जाएगा.
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