!['इस्लाम को बचाने के लिए' गैर-मुस्लिमों को मलेशियाई सरकार ने दिया ऐसा फरमान, मचा बवाल, लेना पड़ा यूटर्न](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202502/67aae99d5eb65-malaysian-prime-minister-110927616-16x9.jpg)
'इस्लाम को बचाने के लिए' गैर-मुस्लिमों को मलेशियाई सरकार ने दिया ऐसा फरमान, मचा बवाल, लेना पड़ा यूटर्न
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मलेशिया की अनवर इब्राहिम सरकार हाल ही में ऐसी गाइडलाइंस जारी करने की तैयारी में थी जिसके अनुसार गैर-इस्लामी कार्यक्रमों में मुस्लिमों को बुलाने के लिए मुस्लिम धार्मिक गुरु की अनुमति की जरूरत पड़ती. मलेशिया सरकार अपने इस प्रस्ताव को जल्द ही लागू करना चाहती थी लेकिन जैसे ही यह सार्वजनिक हुआ तो विवाद खड़ा हो गया.
मलेशिया की अनवर इब्राहिम सरकार हाल ही में ऐसी गाइडलाइंस जारी करने की तैयारी में थी जिसके अनुसार गैर-इस्लामी कार्यक्रमों में मुस्लिमों के जाने की सीमा तय की जानी थी. सरकार के प्रस्ताव के मुताबिक, मलेशिया में गैर-मुस्लिमों को अपने धार्मिक स्थलों पर आयोजित कार्यक्रमों में मुस्लिमों को बुलाने के लिए मुस्लिम धार्मिक गुरु की अनुमति की जरूरत पड़ती.
मलेशिया की सरकार का कहना था कि, इस फैसले से देश में एकता को बढ़ावा मिलेगा और इस्लामी नजरिए से फैलने वाली गलतफहमी को रोका जा सकेगा. मलेशियाई सरकार अपने इस प्रस्ताव को जल्द ही लागू करना चाहती थी लेकिन जैसे ही यह सार्वजनिक हुआ तो विवाद खड़ा हो गया.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सरकार की ओर से यह फैसला इसलिए लिया जा रहा था, जिससे दूसरे धर्म के कार्यक्रमों में जाकर मुस्लिम लोगों का इस्लाम के लिए गलत नजरिया बनने से रोका जा सके. हालांकि, मलेशिया की सरकार अपने इस फैसले की वजह से आलोचनाओं से घिर गई.
सेलांगोर के सुल्तान ने की सरकार के फैसले की कड़ी आलोचना
मलेशिया के सेलांगोर राज्य के सुल्तान शरफुद्दीन इदरीस शाह ने भी सरकार की कड़ी आलोचना की. विवाद बढ़ता देख सरकार ने अपना फैसला वापस ले लिया.
सेलांगोर राज्य के सुल्तान शरफुद्दीन इदरीस शाह ने कहा कि, सरकार का यह फैसला बिना बात विवाद को बढ़ावा देने वाला है जिससे धार्मिक सद्भाव पर गलत असर पड़ सकता है. उन्होंने आगे कहा कि, "मुस्लिमों का दूसरे धर्म के कार्यक्रमों में शामिल होकर इस्लाम के प्रति विश्वास कभी कमजोर नहीं होगा. मुझे भरोसा है कि मुस्लिम अपने धर्म को लेकर अपनी सीमा जानते हैं और आसानी से किसी और धर्म का रुख नहीं करने जाएंगे." सुल्तान ने आगे कहा कि, मलेशिया एक बहुसांस्कृतिक देश है जहां लोग विभिन्न धर्मों और आस्थाओं का पालन करते हैं. इसलिए यहां कभी धार्मिक सहिष्णुता से समझौता नहीं किया जा सकता है. उन्होंने आगे कहा कि, ऐसी चीजों को करने की जगह मुस्लिमों को अपना विश्वास मजबूत करने के लिए इस्लाम को गहराई से समझना चाहिए.
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