New VPN Rules: भारत में बदल गए VPN के नियम, अब स्टोर करना होगा डेटा, जानिए क्या होगा असर
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New VPN Rules: VPN यानी Virtual Private Network को लेकर नए नियम जारी कर दिए गए हैं. नए नियम लागू होने के बाद वीपीएन सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों को यूजर्स का डेटा 5 साल तक स्टोर करना होगा. आइए जानते हैं इस नियम का कंपनी और यूजर्स पर क्या असर होगा.
भारत सरकार ने नई आईटी पॉलिसी इंट्रोड्यूश कर दी है, जिसमें VPN सर्विस प्रोवाइडर्स को अब यूजर्स का डेटा कलेक्ट करना होगा. वीपीएन यानी Virtual Private Network कंपनियों को अब अपने कस्टमर्स का डेटा कलेक्ट करना होगा और उसे 5 साल तक मेंटेन करना होगा.
VPN सर्विस प्रोवाइड्स को CERT-in (Computer Emergency Response Team) ने निर्देश जारी किया है. भारत सरकार की नई पॉलिसी जून 2022 के अंत तक लागू होगी. वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क की सर्विस देने वाली कंपनियों को यूजर्स का डेटा उनके अकाउंट डिलीट होने के बाद भी सिक्योर रखना होगा.
ऐसी कंपनियों को यूजर्स का नाम, IP ऐड्रेस, यूजेज पैटर्न और आइडेंटिफाई करने लायक दूसरी जानकारियों को स्टोर करना होगा. सामान्य रूप से VPN नो-लॉगिंग पॉलिसी पर काम करता है. कंपनियां केवल RAM डिस्क सर्वर और दूसरी लॉग-लेस टेक्नोलॉजी के साथ ऑपरेट करती हैं. इस वजह से डेटा और यूज को मॉनिटर नहीं किया जा सकता है.
हाल में ही भारत में ऑनलाइन एक्टिविटीज को लेकर शख्त कदम उठाएं हैं और इसका अंजाम ही वीपीएन नियमों में बदलाव है. आसान भाषा में समझें तो VPN की मदद से यूजर्स अपनी ब्राउजिंग हिस्ट्री, आईपी ऐड्रेस और जियोग्राफिक लोकेशन को हाइड कर सकते हैं.
साथ ही उनकी वेब एक्टिविटीज और डिवाइस की डिटेल्स भी हाइड रहती हैं. अब कंपनियों को ऐसे यूजर्स के डेटा को कम से कम 5 साल के लिए स्टोर करना होगा. ऐसा नहीं करने पर उन्हें एक साल तक की जेल हो सकती है.
नए प्रावधान में कंपनियों को अपनी इंफॉर्मेशन और कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी सिस्टम के लॉग्स भारत में मेंटेन करने होंगे. इसके अलावा VPN प्रोवाइडर्स को यूजेज लॉग 180 दिनों के लिए स्टोर करना होगा. इसमें किसी यूजर की ब्राउजिंग एक्टिविटी भी शामिल होती है.
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