NEET Controversy: सुप्रीम कोर्ट पहुंची 20 हजार स्टूडेंट्स की अर्जी, कटऑफ, ग्रेस मार्क्स और CCTV समेत कई सवाल
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NEET UG Result 2024 Controversy: याचिका में स्टूडेंट्स ने कई सवाल उठाए हैं जैसे- पहली रैंक पर इतनी बड़ी संख्या (67) में स्टूडेंट्स कैसे आ गए? स्टूडेंटस को 720 में से 718, 719 नंबर कैसे दिए? क्योंकि स्टूडेंट्स सारे सवाल सही करता तो 720 नंबर मिलते और एक भी गलत होता तो माइनस मार्किंग की वजह से अधिकतम 715 नंबर मिलते और एक सवाल छोड़ देता तो 716 अंक.
NEET UG Result 2024 Controversy: देश भर के स्टूडेंट्स नीट स्कैम की बात कह रहे हैं. करीब 20 हजार स्टूडेंट्स ने कोटा के शिक्षाविद नितिन विजय के जरिए सुप्रीम कोर्ट के लिए अपनी अर्जी दी है. इसमें उन्होंने मांग की है कि नीट दोबारा हो या ग्रेसिंग मार्क खत्म किया जाए. मोशन एजुकेशन के संस्थापक और सीईओ नितिन विजय ने रविवार को बताया कि नीट एग्जाम में अनियमितताओं को लेकर मोशन की ओर से चलाए जा रहे डिजिटल सत्याग्रह के तहत करीब बीस हजार स्टूडेंट्स ने अपनी शिकायत दी है. इसके मद्देनजर वे शनिवार को याचिका लेकर दिल्ली गए थे. यह सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दायर होगी.
याचिका में स्टूडेंट्स यह सवाल उठाए याचिका में स्टूडेंट्स ने कई सवाल उठाए हैं जैसे-इस बार ऑल इंडिया फर्स्ट रैंक पर 67 स्टूडेंट्स रहे. पहली रैंक पर इतनी बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स कैसे आ गए? स्टूडेंटस को 720 में से 718, 719 नंबर कैसे दिए? क्योंकि स्टूडेंट्स सारे सवाल सही करता तो 720 नंबर मिलते और एक भी गलत होता तो माइनस मार्किंग की वजह से अधिकतम 715 नंबर मिलते और एक सवाल छोड़ देता तो 716 अंक. एनटीए की तरफ से 14 जून को रिजल्ट जारी होने की संभावित डेट बताई गई थी, लेकिन 10 दिन पहले ही चार जून की शाम को परिणाम जारी कर दिया गया. इसकी क्या वजह है?
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नीट की कट ऑफ बहुत अधिक बढ़ोतरी क्यों? इस बार नीट की कट ऑफ बहुत अधिक है. इसमें एक ही साल में 45 अंकों का बढ़ोतरी देखने को मिली है. यह रिकॉर्ड है. पिछले साल जहां 605 नंबर पर 26 हजार 485 स्टूडेंट्स थे, इस साल वे 76 हजार कैसे हो गए. यह समझ से बाहर की बात है कि एक ही साल में बच्चे एक साथ तीन गुना इंटेलिजेंट कैसे हो गए.
ग्रेस मार्क्स पर आपत्ति ग्रेस मार्क्स की वजह से इतने ज्यादा स्टूडेंट्स टॉपर की लिस्ट तक पहुंच गए और कई स्टूडेंट्स के मार्क्स अच्छे होकर भी उनकी रैंकिंग काफी नीचे हो गई. याचिका में ग्रेस मार्क्स पर कई सवाल उठाए गए हैं. जैसे-एनटीए ने सेंटर्स पर सीसीटीवी फुटेज और वहां के कर्मचारियों की रिपोर्ट और स्टूडेंट्स की एफिशिएंसी के आधार पर ग्रेस मार्क्स देने की बात कही है. लेकिन इसके लिए क्या नियम या फॉर्मूला लगाया, नंबर किस आधार पर दिए. उदाहरण के लिए किसी स्टूडेंट का 15 मिनट पेपर लेट हुआ तो उसे मिनट के हिसाब से मार्क्स दिए गए या फिर कोई और तरीका निकाला गया, यह स्पष्ट नहीं है. केवल यह कह दिया गया है कि बच्चों का पेपर लेट हुआ. उनके लेट होने के समय और एक्यूरेसी के आधार पर ग्रेसिंग मार्क्स दिए गए. इसमें विसंगति यह है कि पेपर में स्टूडेंट सबसे पहले आसान सवाल ही सॉल्व करता है और नीट में तो आमतौर पर सबसे पहले बायोलॉजी का ही पेपर सॉल्व करते हैं. सबसे ज्यादा समय और एफर्ट लास्ट में और हार्ड सवालों में लगता है. फिर शुरुआती समय के आधार पर स्टूडेंट की बाद की एफिशिएंसी को कैसे जांचा जा सकता है.
CCTV फुटेज से कैसे निकाली जा सकती है स्टूडेंट्स की एक्यूरेसी? नितिन विजय ने बताया कि सवाल यह भी है कि ऑफलाइन पेपर में सीसीटीवी फुटेज या परीक्षा सेंटर में मौजूद कर्मियों के आधार पर कैसे स्टूडेंट्स की एक्यूरेसी निकाली जा सकती है. ग्रेसिंग मार्क्स को लेकर एनटीए कोर्ट के निर्देश का हवाला दे रहा है. ये निर्देश क्लैट के लिए साल 2018 में दिए थे. वह ऑनलाइन एग्जाम था, जबकि नीट ऑफलाइन एग्जाम है. उस निर्देश का हवाला देते हुए ग्रेस मार्क्स देना कैसे सही हो सकता है. ग्रेस मार्क्स देने का नियम भी समझ नहीं आया. पेपर लेट बांटा गया तो टाइम ज्यादा देते, नंबर क्यों दिए. ग्रेस मार्क कोई जिक्र बुलेटिन में नहीं है. ग्रेस मार्क्स भी उन्हीं को मिले हैं, जिन्होंने शिकायत की. जिन बच्चों ने शिकायत नहीं की, उनका क्या कसूर है.
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