Munger: शराब माफिया के खिलाफ घातक हथियार बना 'ड्रोन', 500 छापे, 103 भट्ठियां की खत्म
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Bihar News: बिहार के मुंगेर जिले में मद्य निषेध विभाग को ड्रोन मिलने से शराब माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने में बड़ी मदद मिली है. अब तक 500 से अधिक छापेमारी में 103 शराब भट्ठियों को नष्ट किया गया है.
Bihar News: बिहार के मुंगेर में मद्य निषेध विभाग को मिला ड्रोन शराब बनाने वालों के खिलाफ घातक हथियार साबित हो रहा है. ड्रोन की मदद से विभाग को पिछले एक महीने में यहां के नक्सली इलाकों में शराब माफिया के खिलाफ लगातार सफलता मिल रही है. विभाग ने अब तक 500 से अधिक बार छापेमारी का अभियान चलाया है और 103 शराब भट्ठियों, 39 हजार 820 किलोग्राम फुला हुआ महुआ को नष्ट किया. साथ ही 405 लीटर देशी शराब को भी बरामद किया है.
मुंगेर की भौगोलिक स्थिति की बात की जाए तो एक तरफ जहां गंगा का लंबा चौड़ा दियारा इलाका है तो दूसरी तरफ नक्सलियों का गढ़ माने जाना वाला भीम बांध जंगल का एक बड़ा क्षेत्र है. इन दोनों क्षेत्रों में शराब माफिया और तस्कर पुलिस के डर के बिना बड़े आराम से महुआ शराब का निर्माण कर बिहार में शराब बंदी को ठेंगा दिखा रहे थे. लेकिन जब से मुख्यालय की ओर से मद्य निषेध विभाग को ड्रोन कैमरा मिला तब से शराब माफिया और शराब बनाने की जगहों पर ताबड़तोड़ छापेमारी हो रही है.
शराब के धंधे में लिप्त लोग गंगा के पार सुदूर इलाके में देसी शराब को बनाते और वो इसके उपकरणों और सामानों को गंगा की बालू में गाड़ कर रखते देते थे जिससे पुलिस को भी ढूंढने काफी मुश्किल होती थी. दरअसल, मुंगेर जिले के अंतर्गत दियारा का क्षेत्र हो या फिर जंगली पहाड़ी इलाका में छापेमारी करना मद्य निषेध विभाग के लिए मुश्किलों से भरा होता था लेकिन ड्रोन कैमरा मिलने से ऐसी कार्रवाई करने में आसानी हुई. जिससे शराब माफियों के खिलाफ नकेल कसने में मदद मिली. हालांकि, दियारा और जंगली इलाकों के काफी सुदूर इलाकों में मोबाइल नेटवर्क प्रॉब्लम होने के कारण कई जगहों पर ड्रोन काम नहीं कर पाता है.
विभाग की ओर से जारी किए गए कार्रवाई के आंकड़ों के अनुसार पुलिस और उत्पाद विभाग की टीम अवैध शराब निर्माताओं के खिलाफ लगातार कार्रवाई तो कर रही है लेकिन शराब माफिया की पहचान और गिरफ्तारी की सख्या काफी कम है. ऐसे में सवाल उठता है कि सिर्फ शराब भट्ठियों और बर्तनों को नष्ट करने शराब कारोबार में लिप्त लोगों को बहुत कम हानि होती है. पुलिस प्रशासन और उत्पाद विभाग जब तक इस धंधे में लिप्त लोगों पर कार्रवाई नहीं करेगा तब तक शराबबंदी को सफल करना मुश्किल होता दिख रहा है.
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