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Monkeygate: जब भज्जी पर लगे थे साइमंड्स को 'मंकी' कहने के आरोप, और शुरू हुआ था सुनवाइयों का सिलसिला
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साल 2008. ये टेस्ट मैच ग़लत वजहों से ख़बरों में रहा और क्रिकेट के कीड़े आज भी बड़े चाव से इसे याद करते हैं. इस टेस्ट में हुई घटनाओं के चलते न्यूज़ीलैंड से एक जज को बुलाकर मामले की सुनवाई करनी पड़ी और इसका एक खिलाड़ी पर ऐसा असर पड़ा कि वो शराब की शरण में जा पहुंचा. वो खिलाड़ी इस घटना को अपने करियर ख़तम होने की वजह बताता है. ये है वो टेस्ट मैच जिसे मंकीगेट के लिये जाना जाता है.
साल 2003. क्रिकेट के मैदान पर हमें एक ऐसा ज़ख्म मिला था जो आज भी सालता है. उस मैच को याद करने से हर कोई बचता है. न जाने कितने भारतीय दिल एक साथ टूटे थे. ये मैच था जोहांसबर्ग में खेला गया वर्ल्ड कप फ़ाइनल, जिसमें इंडिया और ऑस्ट्रेलिया की टीमें आमने सामने थीं. ये वो समय था जब हर मौके पर भारत दूसरे नंबर की टीम बनकर रुक जा रहा था और ऑस्ट्रेलिया लगभग हर बार ख़िताब ले जाती थी. और यहीं से शुरू हुई 21वीं सदी की एक नयी राइवलरी - इंडिया बनाम ऑस्ट्रेलिया. दोनों ही टीमों में दिग्गज भरे हुए थे और दोनों ही टीमों में नये लड़के भी आ रहे थे. लिहाज़ा दोनों ही टीमों के बाद अनुभव और नये जोश का अच्छा बैलेंस था. और ऐसे में हमें गेंद-बल्ले और मुंह, दोनों के कड़े मुकाबले देखने को मिले. इन्हीं मुक़ाबलों में से एक हुआ सिडनी में. साल 2008. ये टेस्ट मैच ग़लत वजहों से ख़बरों में रहा और क्रिकेट के कीड़े आज भी बड़े चाव से इसे याद करते हैं. इस टेस्ट में हुई घटनाओं के चलते न्यूज़ीलैंड से एक जज को बुलाकर मामले की सुनवाई करनी पड़ी और इसका एक खिलाड़ी पर ऐसा असर पड़ा कि वो शराब की शरण में जा पहुंचा. वो खिलाड़ी इस घटना को अपने करियर ख़तम होने की वजह बताता है. ये है वो टेस्ट मैच जिसे मंकीगेट के लिये जाना जाता है. ये टेस्ट मैच 6 जनवरी 2008 को ख़तम हुआ था और 7 जनवरी को, हमें इस मैच के बाद क्रिकेट के भद्रजनों द्वारा लिये गए फ़ैसलों के बारे में जानकारी मिली थी. उसके बाद जो हुआ, उसने बदलते वर्ल्ड क्रिकेट की तस्दीक की. ********** लेकिन उस मैच की कहानी से पहले चलेंगे अप्रैल 2000 में. जगह बेंगलुरु. रणजी ट्रॉफी का सेमी फ़ाइनल खेला जा रहा था. मैच था हैदराबाद और मैसूर के बीच. हैदराबाद ने पहले बैटिंग करनी शुरू की और पहला विकेट गिरने के बाद खेलने के लिए आये वंगिपुरप्पु वेंकट साई लक्ष्मण. थोड़ी देर में हैदराबाद का दूसरा विकेट भी गिरा और मामला कुछ यूं बना कि इस देश की दो सबसे कीमती कलाइयां, एक साथ अपना जलवा दिखा रही थीं. क्यूंकि दूसरा विकेट गिरने के बाद लक्ष्मण का साथ देने के लिये आये, मोहम्मद अज़हरूद्दीन. इन दोनों ने कर्नाटक की टीम को ख़ूब दौड़ाया. दोनों ने 288 रनों की पार्टनरशिप बनाई. अज़हर ने सेंचुरी मारी और 123 रन पर आउट हो गये.
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भारत के लिए चैम्पियंस ट्रॉफी का टूर्नामेंट खास रहा है. भारत दो बार इसका विजेता रहा है. लेकिन साल 2013 की जीत का स्वाद कुछ अलग था. उस दौरान टीम की सेलेक्शन पर सवाल उठे थे, कप्तान से प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान तीखे सवाल किए गए थे. सभी को लग रहा था कि एक युवा टीम चैम्पियंस ट्रॉफी जितना बड़ा टूर्नामेंट नहीं जीत सकती. लेकिन उस टीम ने सभी को गलत साबित किया. आज हम उसी चैम्पियंस ट्रॉफी की पूरी कहानी जानेंगे.
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Champions Trophy: करो या मरो... रोहित-कोहली के लिए ये चैम्पियंस ट्रॉफी किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं!
आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी टूर्नामेंट में 8 टीमें खिताब के लिए जोर आजमाइश करने के लिए तैयार हैं. 19 फरवरी को पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच कराची में उद्घाटन मैच के साथ ही अगले तीन हफ्ते तक इस टूर्नामेंट को जोर दिखेगा.