Law and Order: क्रूज ड्रग्स केसः क्लीन चिट मिलने के बाद आर्यन खान के सामने है ये कानूनी विकल्प
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चार्जशीट में आर्यन खान समेत 6 लोगों को क्लीन चिट दी गई है. चार्टशीट के मुताबिक आर्यन समेत 6 लोगों के खिलाफ सबूत नहीं मिले हैं. ऐसे में बेगुनाह होते हुए भी एनसीबी ने आर्यन के साथ जो बर्ताव किया और उनका उत्पीड़न किया.
मुंबई क्रूज ड्रग्स केस (Mumbai Cruise Drugs Case) में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने सुपरस्टार शाहरुख खान (Shahrukh Khan) के बेटे आर्यन खान (Aryan Khan) को क्लीन चिट दे दी है. शुक्रवार को NCB ने एनडीपीएस कोर्ट (NDPS Court) में इस मामले की चार्जशीट (Charge sheet) दाखिल की. जिसमें आर्यन खान का नाम नहीं था. दरअसल, इस मामले में आर्यन के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले. हालांकि इसी केस में आर्यन खान को जेल भी जाना पड़ा था. अब सवाल उठता है कि बेगुनाह होने के बावजूद आर्यन को जिस उत्पीड़न का सामना करना पड़ा तो क्या वे कोई कानूनी कार्यवाही कर सकते हैं?
जानकारों का कहना है कि पहले दिन ही जब एनसीबी की टीम ने मुंबई में क्रूज पर छापेमारी की थी, तो यह बात सामने आई थी कि आर्यन के पास ड्रग्स नहीं थी. फिर भी उसे गिरफ्तार किया गया था. अब चार्जशीट में आर्यन खान समेत 6 लोगों को क्लीन चिट दी गई है. चार्टशीट के मुताबिक आर्यन समेत 6 लोगों के खिलाफ सबूत नहीं मिले हैं. ऐसे में बेगुनाह होते हुए भी एनसीबी ने आर्यन के साथ जो बर्ताव किया और उनका उत्पीड़न किया. यहां तक कि उन्हें 28 दिनों तक जेल में रहना पड़ा. तो इसके लिए आर्यन खान कानून की मदद ले सकते हैं.
कानून में प्रावधान लोकप्रिय अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की तरह निर्दोष होने के बावजूद इस तरह के मामले में जेल जाने, उत्पीड़न और मान हानि सहने वाला कोई भी व्यक्ति बेगुनाह साबित होने पर कानून की मदद से आरोपी बनाने वाले अधिकारी या एजेंसी के खिलाफ कार्यवाही कर सकता है. इसके लिए दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 482 की मदद ली जा सकती है.
क्या है सीआरपीसी की धारा 482 (What is CRPC 482) सुप्रीम कोर्ट के जाने माने अधिवक्ता असगर खान बताते हैं कि दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (CRPC) के अंतर्गत धारा 482 के अधीन उच्च न्यायालय (Hight Court) को अंतर्निहित शक्ति (Inherent Power) प्रदान की गई है. इस विशेष शक्ति का मकसद न्यायालय की कार्यवाही को दुरुपयोग से बचाना और न्याय के उद्देश्यों को बनाए रखना है.
आसान शब्दों में समझें तो CRPC की धारा 482 के अधीन हाई कोर्ट को मिली अंतर्निहित शक्ति (Inherent Power) के इस्तेमाल से कोर्ट की कार्यवाही को दुरुपयोग से बचाया जाता है और इंसाफ के मकसद को बनाए रखा जाता है. असगर खान बताते हैं कि इसी धारा की मदद से आर्यन खान अगर चाहें तो उनके साथ हुए अन्याय के खिलाफ कार्यवाही कर सकते हैं.
साथ ही अधिवक्ता असगर खान कहते हैं कि लेकिन ऐसे मामलों में अक्सर क्लीन चिट मिलने के बाद लोग किसी अधिकारी या एजेंसी के खिलाफ कार्यवाही नहीं करते हैं. कोई दोबारा कोई कानूनी पचड़े में पड़ना नहीं चाहता है.
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