ED की PFI पर बड़ी कार्रवाई, 56 करोड़ रुपये से ज्यादा की 35 संपत्तियां जब्त
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ED ने पीएमएलए के तहत पीएफआई के स्वामित्व वाली 56.56 करोड़ रुपये की 35 संपत्तियां जब्त की हैं. 16 अक्टूबर 2024 को 35.43 करोड़ रुपये की 19 संपत्तियां जब्त की गईं, जबकि 16 अप्रैल 2024 को 21.13 करोड़ रुपये की 16 संपत्तियां जब्त की गईं.
ED ने पीएमएलए के तहत पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के स्वामित्व वाली 56.56 करोड़ रुपये की 35 संपत्तियां जब्त की हैं. 16 अक्टूबर 2024 को 35.43 करोड़ रुपये की 19 संपत्तियां जब्त की गईं, जबकि 16 अप्रैल 2024 को 21.13 करोड़ रुपये की 16 संपत्तियां जब्त की गईं. ईडी की जांच एनआईए और अन्य एजेंसियों द्वारा दर्ज एफआईआर पर आधारित है, जिसमें पीएफआई के पदाधिकारी और सदस्य शामिल हैं.
पीएफआई ने आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए भारत और विदेश में बैंकिंग चैनलों, हवाला और दान के माध्यम से पैसे जुटाए. कई राज्यों में 29 पीएफआई बैंक खातों में 94 करोड़ रुपये जमा किए गए. इस बीच 26 पीएफआई सदस्य गिरफ्तार हुए. फरवरी 2021 और मई 2024 के बीच 9 अभियोजन शिकायतें दर्ज की गईं.
हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने पीएफआई के पूर्व नेशनल कॉओर्डिनेटर इब्राहिम पुथनाथनी की जमानत याचिका पर एनआईए को नोटिस जारी किया. अदालत ने उनकी जमानत याचिका पर एनआईए से जवाब मांगा है. कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को करेगी. ट्रायल कोर्ट द्वारा उनकी याचिका खारिज करने और उन्हें जमानत देने से इनकार करने के बाद इब्राहिम पुथानाथनी ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
एनआईए ने दाखिल की थी चार्जशीट एनआईए ने इब्राहिम पुथनाथनी और कुछ अन्य पीएफआई नेताओं के खिलाफ यूएपीए के तहत एक आतंकी मामले में चार्जशीट दायर की है. उन्हें 2022 में एनआईए ने गिरफ्तार किया था. एनआईए ने आरोप लगाया था कि ये लोग कई राज्यों में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भारत और विदेशों से फंड इकट्ठा कर रहे थे और साजिश रच रहे थे.
PFI को बॉम्बे हाई कोर्ट से लगा झटका इससे पहले PFI के तीन कथित सदस्यों को बॉम्बे हाई कोर्ट से झटका लगा था. कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था. अदालत ने कहा कि उन्होंने 2047 तक भारत को इस्लामिक देश में बदलने की साजिश रची थी. जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस श्याम चांडक की बेंच ने रजी अहमद खान, उनैस उमर खैय्याम पटेल और कय्यूम अब्दुल शेख की जमानत याचिका खारिज कर दी.
Bahraich News: बकौल रुखसार- हमने सब कुछ अब योगी सरकार पर छोड़ रखा है. वह जो भी करेंगे सही करेंगे. मेरा परिवार आरोपी है या उन्होंने अपने बचाव में ये किया है? सरकार इस बात को समझे, पूरे मामले की जांच करे. हमारा पक्ष भी सुना जाए. यह भी हो सकता है गोली किसी और ने मारी हो, फायरिंग उस तरफ से भी हुई थी. एकतरफा नहीं हुआ कुछ.
नायब सैनी सरकार ने राज्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करते हुए अनुसूचित जाति आरक्षण में कोटे के अंदर कोटे का फैसला लागू किया है. हालांकि इस फैसले पर बसपा सुप्रीमो और यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने नाराजगी जताई है. इसी साल 1 अगस्त को CJI की अध्यक्षता वाली सात जजों की संविधान पीठ ने अनुसूचित जातियों के उपवर्गीकरण की अनुमति दी थी, ताकि अनुसूचित जातियों के भीतर अधिक पिछड़े समूहों के लिए अलग से कोटा प्रदान किया जा सके.