DU: पूरा सिलेबस तक तैयार नहीं तो क्यों लागू हो रहा 4 ईयर यूजी कोर्स? एसी मेंबर्स ने कुलपति से पूछे ये सवाल
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Delhi University: सेशन अभी स्टार्ट होने वाला है और सिलेबस अभी तक तय नहीं हुआ है. जब तक बच्चों तथा टीचर्स को विषय के सिलेबस का ही नहीं पता होगा तो किस तरह से पढ़ाई होगी. किसी भी कोर्स को यूनिवर्सिटी में स्टार्ट करने के लिए समय चाहिए. वरना ना तो सही से सिलेबस बन पाएगा और ना ही टीचर्स को इस पर क्लेरिटी रहेगी कि किस तरह से मार्किंग होनी है और किस तरह से उसको पढ़ाना है.
Delhi University 4 years UG Course: इस साल दिल्ली यूनिवर्सिटी में CUET के जरिये एडमिशन होंगे. इसके अलावा यूनिवर्सिटी नेशनल एजुकेशन पॉलिसी को भी लागू कर रही है. इसके तहत इस साल यूनिवर्सिटी चार साल का यूजी कोर्स, UGCF पाठ्यक्रम शुरू कर रहा है. नये एकेडमिक सत्र से हो रहे इस बदलाव को लेकर एकेडमिक काउंसिल के कई सदस्यों समेत इंडियन नेशनल टीचर्स कांग्रेस (इंटेक) ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
ये सवाल छात्रों के अधिकार और उनके हित से सीधे जुड़े हैं. इस बारे में डीयू के कुलपति को भी पत्र लिखकर कहा गया है कि अभी तक चार साल के पाठ्यक्रम का पूरा सिलेबस तैयार नहीं है तो ऐसे में इसे लागू करने के लिए एक साल का समय लिया जाए. यहां हम एकेडमिक काउंसिल के सदस्यों और इंटेक के सवालों को विस्तृत रूप से दे रहे हैं. आखिर एकेडमिक सदस्यों को यूजीसीएफ पर आपत्ति क्यों है.
न स्टूडेंट्स को क्लैरिटी, न टीचर्स को DU एकेडमिक काउंसिल के निर्वाचित सदस्य डॉ मेघ राज ने aajtak.in से कहा कि सेशन अभी स्टार्ट होने वाला है और सिलेबस अभी तक तय नहीं हुआ है जब तक बच्चों तथा टीचर्स को विषय के सिलेबस का ही नहीं पता होगा तो किस तरह से पढ़ाई होगी. किसी भी कोर्स को यूनिवर्सिटी में स्टार्ट करने के लिए समय चाहिए. वरना ना तो सही से सिलेबस बन पाएगा और ना ही टीचर्स को इस पर क्लेरिटी रहेगी कि किस तरह से मार्किंग होनी है और किस तरह से उसको पढ़ाना है.
प्रो मेघ राज आगे कहते हैं कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी को जिस तरह से बहुत ही जल्दबाजी में लागू किया जा रहा है, उसी का असर है कि सिलेबस की तैयारी को लेकर भी दिल्ली विश्वविद्यालय की एकेडमिक काउंसिल में प्रॉपर तरीके से डिस्कशन नहीं हुआ. विद्यार्थियों के लिए बहुत ही दुविधा होती है जब एक नया सिलेबस बनाया जाता है क्योंकि हर विषय की कितनी वेटेज है? कितना समय में पढ़ना है? इस तरह के क्वेश्चन पूछे जाएंगे तथा पहले के क्वेश्चन पेपर्स ना होने की वजह से यह सुनिश्चित करना मुश्किल हो जाता है कि टॉपिक्स को किस किस तरह से पढ़ा जाए.
एक साल बाद लागू हो ये 4 इयर कोर्स प्रो मेघ राज का कहना है कि जल्दबाजी में किसी भी विषय को शुरू करना विद्यार्थी तथा शिक्षक दोनों के लिए बहुत ही खतरनाक होता है. सी यू ई टी का एग्जाम हो गया है और एडमिशन शुरू होने वाले हैं लेकिन अभी तक अलग-अलग विषयों का क्या सिलेबस होना चाहिए वह निश्चित नहीं हुआ है. ऐसी परिस्थिति में विश्वविद्यालय को पुराने सिलेबस के साथ ही पुराना वाला कार्यक्रम इस साल तो लागू रखना चाहिए. हमने इस मांग को लेकर डीयू कुलपति को लिखा है.
डॉ कुमार शांतनु डीयू की एकेडमिक काउंसिल के निर्वाचित सदस्य हैं, वो डीयू की स्टैंडिंग कमेटी ऑन एकेडमिक मैटर्स के भी सदस्य हैं. डॉ शांतनु तीन अगस्त को हो रही काउंसिल की मीटिंग को लेकर कहते हैं कि इस मीटिंग में सिलेबस पर चर्चा एजेंडा आइटम का हिस्सा है. इस पर स्टैंडिंग कमेटी में पहले ही चर्चा हो चुकी है. यहां समान रूप से सदस्यों ने सुझाव दिया था कि फोर इयर्स यूजी कोर्स के सभी चार वर्षों का सिलेबस और चार साल का स्ट्रक्चर एक बार में तैयार होना चाहिए. साथ ही, स्किल एन्हांसमेंट कोर्स (एसईसी) और वैल्यू एडिशन कोर्स (वीएसी) के तहत पेश किए जाने वाले पेपर में कम विकल्प होते हैं और इसके लिए विभागों के सुझावों की अनदेखी की गई है.
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