
Dhaakad Review: सही मायनों में एक्शन क्वीन निकलीं कंगना, बस कहानी धोखा दे गई
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Dhaakad Review: कंगना रनौत फुल ऑन एक्शन अवतार में आ गई हैं. ऐसा एक्शन होने का दावा है जो आपने स्क्रीन पर पहले नहीं देखा है. लेकिन अब दावों का वक्त खत्म...फिल्म रिलीज हो चुकी है...जानते हैं कैसी बनी है.
मैं बेस्ट हूं...मुझसे बेहतर कोई नहीं कर सकता. मैं गेमचेंजर साबित हो जाऊंगी.....ये कंगना रनौत हैं. हमेशा कुछ साबित करने की आग...कुछ अलग करने का जुनून और इतिहास के पन्नों में खुद को दर्ज करवाने वाली एक ललक. कंगना की कोई भी बड़ी फिल्म उठा लीजिए..उनकी कोशिश हमेशा इसी दिशा में दिखी है. क्वीन ने वो कर दिखाया था....थलाइवी में फिर सब को हैरत में डाला और अब बारी है धाकड़ की. एक्शन फिल्म है, एक्ट्रेस कर रही है, लीड रोल में है. मतलब फिर कुछ नया है, ऐसा जो आपने सक्रीन पर बहुत कम देखा है. अब धाकड़ के साथ कंगना इतिहास बना रही हैं या इसी में गुम हो जाएंगी, आइए जानते हैं.
कहानी
यूरोप से लेकर भारत तक मानव तस्करी का एक बड़ा बिजनेस चल रहा है. ऐसा बिजनेस जो बस बढ़ता ही जा रहा है. इस पूरे बिजनेस की कमान रुद्रवीर (अर्जुन रामपाल) ने संभाल रखी है, जो वैसे कोयले बेचने का काम करता है, लेकिन मेन धंधा जिस्मफरोशी का करता है. उसकी एक साथी भी है रोहिणी (दिव्या दत्ता) जो इस पूरे बिजनेस का हिसाब देखती है. लड़कियों को लाने का काम भी कर रही है. बस ये कांड है और इसका पर्दाफाश करने के लिए भारत की सीक्रेट एजेंसी रॉ सक्रिय हो गई है.
मिशन को लीड कर रही है अग्नि उर्फ ड्रैगन गर्ल (कंगना रनौत). अग्नि एक माहिर एजेंट है जो तलवारबाजी से लेकर गोलीबारी तक, हर मामले में एक्सपर्ट बन चुकी है. कहानी आपको यही बताएगी कि उससे बेहतर कोई नहीं. अग्नि के ऊपर एक बॉस (सास्वत चटर्जी) भी है जो उसे ऑर्डर दे रहा है. तो किस तरीके से इस मिशन को अंजाम दिया जाता है, अग्नि के सामने क्या चुनौतियां आती हैं, यही धाकड़ की कहानी है.
नो स्टोरी ओनली एक्शन

सेंसर बोर्ड ने 'बैड न्यूज' में विक्की कौशल और तृप्ति डिमरी के तीन किसिंग सीन काटकर करीब 27 सेकंड छोटे किए थे. सेंसर बोर्ड पहले भी फिल्मों में कई 'आपत्तिजनक' सीन्स कटवाता रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये सेंसर बोर्ड्स 125 साल पहले लगी एक आग की वजह से अस्तित्व में आए? पेश है फिल्म सेंसरशिप का इतिहास.