
गम के नीचे बम लगाने से लेकर, भेजे में मचे शोर तक... ऐसे बना था 'सत्या' का ये यादगार गाना
AajTak
सोहम शाह की फिल्म 'क्रेजी' में 'सत्या' (1998) के आइकॉनिक गाने 'गोली मार भेजे में' को रीमिक्स किया गया है. जनता को ये गाना पसंद नहीं आ रहा. लेकिन ऑरिजिनल गाना खुद जितना मजेदार था, इसके बनने की कहानी भी उतनी ही मजेदार है. आइए बताते हैं 'गोली मार भेजे में' की बिहाइंड द सीन कहानी...
'तुम्बाड़' फेम सोहम शाम की नई फिल्म 'क्रेजी' थिएटर्स में रिलीज हो रही है. 'क्रेजी' के टीजर-ट्रेलर ने तो लोगों की दिलचस्पी काफी जगाई है और फिल्म लवर्स में एक्साइटमेंट भी नजर आ रही है. मगर 'क्रेजी' से एक चीज ने जनता को काफी निराश किया और सोशल मीडिया पर इसे जनता से खूब नेगेटिव रिएक्शन मिले. दरअसल, सोहम शाह की फिल्म में 'सत्या' (1998) के आइकॉनिक गाने 'गोली मार भेजे में' को रीमिक्स किया गया है. नए गाने का म्यूजिक हो, या उसकी मिक्सिंग या फिर कुछ और, जनता को इस गाने ने एक जनरल लेवल पर काफी निराश किया. इस बात की गवाही सोशल मीडिया पर भरी पड़ी है.
एक दिक्कत ये भी है कि कुछ चीजें इतनी आइकॉनिक हो जाती हैं कि उसके चाहने वाले, उसे दोबारा पैकेज किए जाने के आईडिया से ही खफा हो जाते हैं. 'गोली मार भेजे में' असल में ऐसा ही एक गाना है. बॉलीवुड के गैंगस्टर गानों में टॉप पोजीशन का दावेदार ये गाना 27 सालों से जनता को क्रेजी बनाए हुए है. तो फिर 'क्रेजी' में गाना को ही रीक्रिएट करना भला फिल्म लवर्स को कहां पचने वाला था!
हालांकि जहां 'गोली मार भेजे में' के रीमिक्स वर्जन को जनता बहुत बारीकी से परख रही है, वहीं 'सत्या' में इसका ऑरिजिनल वर्जन अपने आप में केवल कुछ मजेदार संयोगों की देन था. वैसे तो 'सत्या' पूरी फिल्म के तौर पर ही दिलचस्प संयोगों के जुड़ने की एक चमत्कारिक कहानी है, मगर वो किस्सा फिर कभी. फिलहाल पेश है इस गाने के पीछे फिल्म के डायरेक्टर-राइटर-संगीतकार और गीतकार के भेजे में मचे शोर की कहानी...
'मेरी फिल्म को थोड़ा नर्म बना दो' 'सत्या' की कहानी को साइड रख दें तो इसके म्यूजिक एल्बम को भी जबरदस्त पॉपुलैरिटी मिली थी. हालांकि, सबसे दिलचस्प और चौंकाने वाली बात ये है कि डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा इस फिल्म में गाने डालना ही नहीं चाहते थे. दरअसल, इस फिल्म को समझें तो वर्मा का फोकस पूरी तरह एक ऐसी फिल्म बनाने पर था जिसमें ये दिखे कि भयानक घटनाओं में शामिल जो गैंगस्टर अखबारों की सुर्खियों में आते रहते हैं, उनकी रूटीन जिंदगी होती कैसी है?
इस सवाल से ही समझ आता है कि 'सत्या' में गाने डालना कितना मुश्किल टास्क रहा होगा. अगर कोई फिल्ममेकर 'डॉन' जैसा स्टाइलिश गैंगस्टर स्क्रीन पर उतार रहा है, तो गानों का स्कोप अच्छा-खासा है. कोई फिक्शनल गैंगस्टर स्टोरी है तो उसमें रोमांटिक गाने रखने का भी स्कोप है. लेकिन राम गोपाल वर्मा ऐसा कुछ नहीं बना रहे थे. वो तो गैंगस्टर्स की बिल्कुल रियल जिंदगी दिखाना चाहते थे, शायद इसीलिए वो पहले फिल्म में गाने रखने के पक्ष में नहीं थे. मगर आधी फिल्म शूट होने के बाद उनका मूड बदल गया.
इंडस्ट्री के तमाम लोगों की तरह वर्मा भी 'माचिस' फिल्म के गाने 'चप्पा चप्पा' के फैन थे. उन्होंने विशाल को अपने प्रोडक्शन में बन रही एक दूसरी फिल्म में काम दिया था, जिसे कन्नन अय्यर डायरेक्ट कर रहे थे. ये फिल्म तो बनी नहीं और विशाल का वो म्यूजिक भी कहीं इस्तेमाल नहीं हुआ. लेकिन वर्मा लगातार विशाल के टच में बने रहे.

सेंसर बोर्ड ने 'बैड न्यूज' में विक्की कौशल और तृप्ति डिमरी के तीन किसिंग सीन काटकर करीब 27 सेकंड छोटे किए थे. सेंसर बोर्ड पहले भी फिल्मों में कई 'आपत्तिजनक' सीन्स कटवाता रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये सेंसर बोर्ड्स 125 साल पहले लगी एक आग की वजह से अस्तित्व में आए? पेश है फिल्म सेंसरशिप का इतिहास.