Corona Patient Care: घर पर रहकर कोरोना का कैसे करें इलाज? जानें क्या खाएं, क्या नहीं
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कोरोना के गंभीर मामलों में मरीज को अस्पताल में भर्ती करना पड़ता है लेकिन हल्के या मध्यम मामलों में घर पर रहकर भी इसका इलाज किया जा सकता है. इसे होम आइसोलेशन भी कहा जाता है. होम आइसोलेशन में मरीज खुद को घर के बाकी सदस्यों से अलग रखकर अपना इलाज करते हैं. आइए जानते हैं कोरोना के घर मरीज घर पर ही रहकर कैसे खुद का इलाज कर सकते हैं.
कोरोना वायरस की दूसरी लहर बहुत तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रही है. ये संक्रमण एक से दूसरे में बहुत तेजी से फैलता है. कोरोना के गंभीर मामलों में मरीज को अस्पताल में भर्ती करना पड़ता है लेकिन हल्के या मध्यम मामलों में घर पर रहकर भी इसका इलाज किया जा सकता है. इसे होम आइसोलेशन भी कहा जाता है. होम आइसोलेशन में मरीज खुद को घर के बाकी सदस्यों से अलग रखकर अपना ट्रीटमेंट करते हैं. आइए जानते हैं कोरोना के मरीज घर पर रहकर कैसे तेजी से रिकवरी कर सकते हैं. होम आइसोलेशन के लिए जरूरी नियम- होम आइसोलेशन के लिए कोरोना के मरीज के लिए घर में अलग और हवादार कमरा होना जरूरी है. मरीज के लिए एक अलग टॉयलेट होना चाहिए. मरीज की 24 घंटे देखभाल के लिए किसी ना किसी को होना चाहिए. ध्यान देने वाली बात है कि होम आइसोलेशन में रह रहे मरीज के लक्षण गंभीर नहीं होने चाहिए. गंभीर होने पर मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी जाती है. होम आइसोलेशन में मरीज को क्या करना चाहिए- मरीज को अपने कमरे की खिड़कियां खुली रखनी चाहिए. मरीज को पूरे समय तीन लेयर वाला मास्क पहनना चाहिए और इसे हर 6-8 घंटे में बदलना चाहिए. साबुन और पानी से हाथ को 40 सेकेंड तक धोना चाहिए. ज्यादा छूई जाने वाली सतह को छूने से बचें. अपने बर्तन, तौलिया, चादर कपड़े बिल्कुल अलग रखें और किसी और को इस्तेमाल ना करने दें.Drone Delivery: ड्रोन का इस्तेमाल अब खेती से लेकर डिलीवरी और युद्ध तक में हो रहा है. हालांकि, शहरों और रिमोट एरिया में ड्रोन डिलीवरी में एक प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं. इसकी वजह इनकी पहुंच का आसान होना है. जहां रिमोट एरिया में रास्तों की चुनौती होती है, तो शहरों में ट्राफिक इन रास्ते का रोड़ा होता है. ऐसे में ड्रोन्स कैसे डिलीवरी के क्षेत्र में क्रांति ला रहे हैं.
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