Confirm... इन लोगों को जरूर मिलेगा Hyundai IPO का अलॉटमेंट, जानिए तीसरे दिन कितना भरा?
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ऑटोमोबाइल दिग्गज हुंडई मोटर इंडिया (Hyundai Motor India) का आईपीओ कुल 2.37 गुना सब्सक्राइब हुआ. जिसमें सबसे ज्यादा QIB पार्ट 6.97 गुना भरा. NII का हिस्सा भी महज 60 फीसदी सब्सक्राइब हुआ.
देश का सबसे बड़ा आईपीओ क्लोज हो चुका है, दरअसल, आखिरी दिन भी हुंडई मोटर इंडिया (Hyundai Motor India) के आईपीओ को लेकर निवेशकों में कोई उत्साह देखने को नहीं मिला, खासकर रिटेल निवेशकों ने इस आईपीओ में पैसे लगाने से परहेज किया है, जिस वजह से रिटेल कैटेगरी सिर्फ 50% ही सब्सक्राइब हुआ, यानी रिटेल कैटेगरी में जितने शेयर ऑफर किए गए थे, उससे आधे अप्लीकेशन आए हैं.
हालांकि तीन के दिन बाद ऑटोमोबाइल दिग्गज हुंडई मोटर इंडिया (Hyundai Motor India) का आईपीओ कुल 2.37 गुना सब्सक्राइब हुआ. जिसमें सबसे ज्यादा QIB पार्ट 6.97 गुना भरा. NII का हिस्सा भी महज 60 फीसदी सब्सक्राइब हुआ. ऐसे में रिटेल और NII कैटेगरी से अप्लीकेशन लगाने वाले सभी निवेशकों को शेयर अलॉट हो जाएंगे.
Hyundai Motors India देश का सबसे बड़ा आईपीओ लेकर आया था. लेकिन इसे निवेशकों का ठंडा रिस्पॉन्स मिला. इस इश्यू की शेयर बाजार (Stock Market) में लिस्टिंग 22 अक्टूबर को हो सकती है. आईपीओ के तहत कंपनी ने शेयरों के लिए 1865-1960 रुपये का प्राइस बैंड तय किया है.
कम से कम इतने रुपये का निवेश आईपीओ के लिए कंपनी ने लॉट साइज 7 शेयरों का सेट किया है. अपर प्राइस बैंड के हिसाब से कैलकुलेशन करें, तो कम से कम एक लॉट के लिए रिटेल निवेशकों को 13,720 रुपये की बोली लगानी पड़ी है.
ग्रे-मार्केट में लगातार लग रहा झटका बात करें Hyundai IPO के ग्रे-मार्केट प्रीमियम की तो उसमें लगातार गिरावट आ रही है. सब्सक्रिप्शन बंद होने के बाद हुंडई मोटर इंडिया के आईपीओ का GMP प्राइस गिरकर महज 5 रुपये रह गया है. इस हिसाब से देखें लिस्टिंग के वक्त कमाई की उम्मीद बेहद कम है, एक्सपर्ट निगेटिव लिस्टिंग की भी बात कर रहे हैं.
इस आईपीओ को लेकर ठंडा रिस्पॉन्स क्यों? मार्केट जानकारों के मुताबिक, इस आईपीओ का वैल्यूवेशन काफी महंगा दिख रहा है. इस आईपीओ को थोड़ा और सस्ता होना चाहिए था. इसके अलावा कंपनी OFS के जरिए शेयर बेच रही है, जिसका मतलब है कि इसके आईपीओ का पैसा प्रमोटर्स के पास जाएगा, ना कि कंपनी की ग्रोथ और अन्य चीज के लिए खर्च हो पाएगा. इसके साथ ही बाजार में लगातार गिरावट भी एक कारण है.
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