
Birthday Special: आखिर क्यों अजय देवगन ने एक आंख से शूट की थी फिल्म 'खाकी'? मेकअप मैन हरीश ने खोला राज
AajTak
Ajay Devgan Birthday: फूल और कांटे से अपनी फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाले अजय को आज इंडस्ट्री में तीन अरसा हो चुका है. अजय की इस जर्नी में कुछ लोग आज भी उनसे जुड़े हैं, जिसमें उनके सबसे खास हैं उनके मेकअप मैन.
फिल्म फूल और कांटे से जब अजय देवगन अपनी बॉलीवुड एंट्री कर रहे थे, तो उनके साथ इसी फिल्म से जुड़े थे उनके मेकअप मैन हरीश. हरीश और अजय का सफर 32 साल का है. हरीश ने अजय की जर्नी को बहुत करीब से देखा है. अजय देवगन के जन्मदिन पर खास वो हमें उनकी जर्नी के दिलचस्प किस्से सुना रहे हैं.
अपनी पहली मुलाकात को याद करते हुए हरीश बताते हैं, अजय देवगन सर के साथ बतौर मेकअप आर्टिस्ट पहली बार फूल और कांटे फिल्म से जुड़ा था. वो फिल्म 1991 में रिलीज हुई थी, और तब से लेकर आजतक मैं उन्हीं के साथ जुड़ा हुआ हूं. लगभग 33 साल का हमारा सफर है. ये बॉस का ही बड़प्पन है कि उन्होंने मुझे अभी तक नहीं छोड़ा है. उनकी बहुत बड़ी खासियत यही है कि लोगों की कैसे कद्र की जाए, अपनी टीम को कैसे संभाला जाए, ये वो अच्छे से जानते हैं. मैं पहले ऐडवर्टिजमेंट्स में एक्टर्स के मेकअप किया करता था. उसके अलावा कुछ एक्ट्रेसेस संग फ्रीलांस का काम करता था. जब अजय संग जब जुड़ा, तो बस रिश्ता ही बन गया. कहीं और काम करने का मन ही नहीं किया. बहुत सारे बेहतरीन ऑफर्स आएं लेकिन मैंने मना कर देता था. अजय फैमिली से बढ़कर हैं. हमने फैमिली से ज्यादा एक दूसरे संग वक्त गुजारा है. शुरुआत के दिनों में ज्यादातर ऑउटडोर शूट हुआ करते थे या फिर एक दिन में तीन-तीन जगह शूटिंग्स चला करते थे. तो उस वक्त हमारा ज्यादातर वक्त सेट पर ही बीतता था.
फ्रैक्चर एड़ी संग अजय ने शूट किया था 'फूल और कांटे' का क्लाइमैक्स एक न्यूकमर से करियर शुरुआत करने वाले अजय आज बॉलीवुड में राज करते हैं. उनकी इस जर्नी को उनके मेकअप मैन हरिश ने बहुत करीब से देखा है. क्या कभी उन्होंने अजय में कोई बदलाव महसूस किया. तो इसके जवाब में हरिश कहते हैं, मेरे लिए तो आज भी अजय वैसे ही हैं, जब मैं पहली बार उनसे मिला था. बस यह है कि अब परिपक्वता आ गई है, उम्र के साथ-साथ वो मैच्यॉर हो गए हैं. पहले बहुत मस्ती करते थे, सेट पर सबको हंसाते रहते थे. अब उनमें गंभीरता आई है और काम के प्रति उनका लगाव और गहराता चला गया है. वो आदमी अपने काम को लेकर हमेशा से पैशनेट रहा है. याद है मुझे, जब फूल और कांटे का क्लाइमैक्स सीन चल रहा था, उस वक्त एक सीन के दौरान उनके पैर में चोट लग गई थी. उन्होंने कहा कि दर्द हो रहा है, जूता खोलकर देखा, तो पैर में सूजन आ गई थी. उन्होंने किसी से कुछ नहीं कहा, चुपचाप पैर में पट्टी बांधकर पूरी फिल्म का एक्शन सीक्वेंस कंपलीट किया. उसके बाद डॉक्टर को दिखाने के दौरान पता चला कि उन्हें पैर में फ्रैक्चर है. उनका जज्बा ही यही है कि चाहे कुछ भी हो जाए, काम पहले कंपलीट कर लेना है. आज भी वही जुनून के साथ उन्हें काम करते देखता हूं. सेट पर पहुंचते ही वो उसी जोश में नजर आते हैं, जैसा उन्हें पहली फिल्म के दौरान देखा था.
तीन-तीन शिफ्ट करने के बाद भी सेट पर टाइम से पहुंच जाते थे हरीश आगे बताते हैं, वो शिवजी के भक्त हैं, असल जिंदगी में वो मेरे लिए भोले बाबा ही हैं. वो एक बहुत ही इंटेलिजेंट एक्टर भी हैं. उनकी कड़ी मेहनत का मैं साक्षी रहा हूं. यकीन मानों, जब हम एक दिन में तीन-तीन फिल्मों की शूट किया करते थे, तो मैं कई बार थक जाता था और सेट पर लेट पहुंचता था. लेकिन मजाल है, अजय कभी लेट हुए हों. एक शूट सुबह 7 से 2 बजे होता था, दूसरा 2 से 10 बजे और तीसरा नाइट शिफ्ट 10 से 5 बजे,तक की होती थी. बीच में ट्रैवलिंग का स्पेयर टाइम मिलता था, जहां वे ट्रैवलिंग के वक्त कार में सोया करते थे. वो बंदा तीनों फिल्म करने के बाद भी सेट पर अगली सुबह 7 बजे पहुंच जाया करता था. आज अगर वो अजय देवगन हैं, तो उसके पीछे उनकी कड़ी तपस्या, पंक्चुअलिटी, मेहनत हैं. एक परफेक्ट टीम लीडर भी हैं वो, फिल्म का सारा प्रेशर खुद पर लेते हैं. उसकी शिकन कभी किसी पर आने नहीं देते हैं. हां, अगर उनकी टीम में कोई परेशान हो, तो वो फौरन समझ जाते थे. और उससे परेशानी पूछकर उसकी मदद करते हैं. उनकी आंखों के बारे में अक्सर कहा जाता है, सच कहूं, मैं महज उनकी आंखों के एक्स्प्रेशन से ही समझ जाता हूं कि उनका कैसा मूड है. कई बार उनकी आंखों से ही हमारी बात भी हो जाया करती रही है.
बर्फ की वादियों में खड़े होकर किया मेकअप अजय की मेकअप पर बात करते हुए हरीश बताते हैं, अजय का लुक अनकन्वेंशनल है. वो बहुत ज्यादा फेयर लुकिंग नहीं हैं. हालांकि चेहरे पर मेकअप टेक्निक्स का इस्तेमाल कर उन्हें कैमरे के लिए तैयार किया करते थे. देखो, ऐज बढ़ता है, तो चेहरे में भी बदलाव आता जाता है. प्रोडक्ट्स भी समय दर समय बदलने पड़ते हैं. हम मेकअप आर्टिस्ट अपने आपको अपडेट करते रहते हैं. पहले ऐसा नहीं था, उस वक्त चैलेंज भी बहुत होता था. पहले तो लाइट्स भी बहुत ज्यादा इस्तेमाल की जाती थीं. ज्यादातर शूट्स आउटडोर होते थे, तो धूप में शूटिंग के दौरान पसीने से मेकअप बह जाया करता था. उस समय हमें एक्टर्स के साए की तरह सेट पर होना पड़ता था. मुझे याद है 'दिलजले' की शूटिंग चल रही थी, मैंने पहली बार एक्सपेरिमेंट करते हुए उनके बालों को डाई किया था, हेयर एक्सटेंशन लगवाए थे, आंखों में लेंस भी लगाया था, दाढ़ी और मूंछे भी लगवाई थी. भारी-भरकम कॉस्ट्यूम पहने अजय मनाली में बर्फ के बीच शूट कर रहे थे. बर्फ की वजह से वहां बैठने के लिए कोई जगह नहीं थी, उन्हें खड़े होकर ही अपना पूरा मेकअप करवाना पड़ता था. दरअसल वो अब तक सबसे टफ शूटिंग लोकेशन रहा था. क्योंकि पहली बार इस तरह के गेटअप में तैयार हुए अजय भी थोड़ा असहज हो जाया करते थे. इसके बाद मैंने फिल्म 2003 में रिलीज हुई फिल्म 'कयामत' में अजय के लुक संग एक्सपेरिमेंट कर उनकी पूरी बालों का रंग चेंज किया था. उस वक्त हेयर स्टाइलिंग का ट्रेंड काफी जोरों पर था, तो कभी उन्होंने बाल ब्लॉन्ड कराया, तो कभी स्पाइक लुक संग भी एक्स्पेरिमेंट किया था.
पूरी 'खाकी' फिल्म को एक आंख में शूट किया हरीश बताते हैं, 'फिल्म खाकी के दौरान मुझे डायरेक्टर और अजय की तरफ से इंस्ट्रक्शन मिला था कि उनकी आंखों के साथ कुछ अलग करना है. मैंने आंखों में मैक पैच किया था. वो इतनी तकलीफदेह हो गई थी कि उनकी एक आंख ज्यादातर समय बंद रहती थी. पूरी फिल्म उन्होंने एक आंख से ही शूट की है और एक्शन के दौरान भी उन्होंने एहसास नहीं होने दिया कि उनकी आंखों में तकलीफ हो रही है और वो केवल एक आंख से ही देख पा रहे हैं.' अजय के मेकअप टाइमिंग पर हरीश बताते हैं, अगर प्लेन मेकअप करना हो, तो उन्हें ज्यादा वक्त नहीं लगता है. ऐसा भी हुआ है कि वो महज पांच मिनट में तैयार हो गए हैं और ऐसा भी वक्त रहा, जब उन्हें तैयार करने में लगभग एक घंटे लग जाते थे.

सेंसर बोर्ड ने 'बैड न्यूज' में विक्की कौशल और तृप्ति डिमरी के तीन किसिंग सीन काटकर करीब 27 सेकंड छोटे किए थे. सेंसर बोर्ड पहले भी फिल्मों में कई 'आपत्तिजनक' सीन्स कटवाता रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये सेंसर बोर्ड्स 125 साल पहले लगी एक आग की वजह से अस्तित्व में आए? पेश है फिल्म सेंसरशिप का इतिहास.